श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) ने कहा कि विधानसभा चुनावों में भारी मतदान ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की अटूट आस्था को दर्शाया है। उन्होंने कहा कि लोगों में राज्य का दर्जा वापस पाने की आकांक्षा प्रबल है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की पहली विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम एक दशक के बाद चुनावों के सफल समापन के बाद यहां एकत्र हुए हैं।
विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाएगी सरकार
सिन्हा (LG Manoj Sinha) ने कहा कि विशेष रूप से उन क्षेत्रों में भारी मतदान बहुत उत्साहजनक है, जो पारंपरिक रूप से अलगाववादी भावनाओं के कारण पूरी तरह से भाग नहीं ले पाते थे। एलजी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा वापस पाने की आकांक्षा प्रबल है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी (PM Modi) ने जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रयास करेगी और विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाएगी।
उन्होंने (LG Manoj Sinha) कहा कि मंत्रिपरिषद ने हाल ही में राज्य का दर्जा बहाल करने का आह्वान करते हुए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया है। यह सामूहिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है और इसे हासिल करने के लिए सभी को एक टीम के रूप में मिलकर काम करना होगा। सिन्हा ने कहा कि लोगों को सरकार से बहुत उम्मीदें हैं और सभी को लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार को पूरा समर्थन देना चाहिए।
उन्होंने (LG Manoj Sinha) कहा कि सरकार लोगों के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए अपने वादों को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, कि मेरी सरकार प्रति परिवार 200 यूनिट बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है। हम जल विद्युत संसाधनों का दोहन कर रहे हैं और वर्ष 2026 तक जम्मू-कश्मीर बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सत्र के पहले दिन ही हंगामा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र के पहले दिन ही हंगामा हो गया। पीडीपी (PDP) के विधायक वहीद पारा ने अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। भाजपा (BJP) द्वारा टिप्पणी को हटाने और प्रस्ताव को अस्वीकार करने की मांग के बाद विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया।
वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) ने कहा कि प्रस्ताव केवल कैमरों के लिए पेश किया गया था और इसका कोई वास्तविक महत्व नहीं है।