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आत्मनिर्भर भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास का बजट

Writer D by Writer D
01/02/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय, विचार
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Budget 2021

Budget 2021

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 ‘सियाराम पांडेय ‘शांत’

केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार का बजट पेश कर दिया है। यह बजट इसलिए भी विशेष महत्वपूर्ण है कि यह कोरोना महामारी की त्रासदियों के बीच आया है। स्वास्थ्य विकास के लिए जरूरी है और अर्थव्यवस्था विकास और स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए देश की जरूरतों का न केवल ध्यान रखा है बल्कि आम आदमी की परेशानियों  और उसके समाधान का भी प्रयास किया है। पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रियाओं पर न जाते हुए अगर विचार किया जाए तो यह बजट विकासोन्मुख भी है और रचनात्मक भी।

दो माह से लंबे समय से आंदोलित किसानों को एकबारगी सोचने का भी उन्होंने मौका दिया है। मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से लेकर आज तक पेश हुए सभी आम बजट में गांव और किसान की सहूलियतों का ध्यान रखा है। इस बजट में भी निर्मला सीतारमण ने किसानों को विशेष सौगात दी है। पहली तो यह कि कृषि ऋण सीमा को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ तक कर दिया है। वर्ष 2020-21 में 15 लाख करोड़ रुपये तक कृषि ऋण  देने का लक्ष्य था। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास सरकार पहले भी कर रही थी और आज भी कर रही है।

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ऑपरेशन ग्रीन स्कीम में जल्द खराब होने वाली 22 फसलों को शामिल किए जाने और एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड तक एपीएमसी की भी पहुंच सुनिश्चित करने की उन्होंने बात कही है। इस बजट में कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारादीप और पेटुआघाट जैसे शहरों में पांच बड़े फिशिंग हार्बर और तमिलनाडु में बहुउद्देश्यीय सी-विंड पार्क की स्थापना कर सरकार किसानों को लाभ के एक बड़े माध्यम से जोड़ने का प्रयास सहज ही देखा जा सकता है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण किसानों को यह बताना हरगिज नहीं भूलीं कि मोदी सरकार ने किसानों के हित में कितना काम किया है।

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वर्ष 2013-14 में सरकार ने 64 हजार करोड़ रुपये का धान खरीदा गया था, उसके सापेक्ष  2019-20 में 1.41 लाख करोड़  की धान की खरीद हुई। नए बजट में धान खरीद का यह लक्ष्य बढ़ाकर 1.72 लाख करोड़  कर दिया गया है। इससे 1.54 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे, ऐसी उम्मीद जताई गई है। उन्होंने किसानों से गेहूं की खरीद भी पूर्व सरकार से दोगुना ज्यादा करने की बात कही है। दाल की खरीद तो मनमोहन सरकार से 50 गुना ज्यादा मनमोहन सरकार में हुई है। इस लिहाज से देखें तो मौजूदा बजट आंकड़ागत ढंग से किसानों को आईना दिखाने वाला है कि कौनसी सरकार उनकी हितैषी है और कौन विरोधी। देखा जाए तो यह बजट किसानों और उन्हें गुमराह कर रहे लोगों के लिए आत्मविश्लेषण का भी है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य को जारी रखने की घोषणा तो की लेकिन साथ ही एमएसपी व्यवस्था में मूलभूत बदलाव और मंडियों को इंटरनेट से जोड़े जाने की बात कहकर प्रधानमंत्री के आधुनिक कृषि के विचारों को  ही विस्तार दिया है।

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अफोर्डेबल हाउसिंग और किराए पर घर की योजना पर फोकस करने, अफोर्डेबल हाउसिंग में टैक्स छूट को एक और साल के लिए  बढाने की घोषणा कर उन्होंने रियल एस्टेट सेकटर को उत्साह से भरने का भी काम किया है। स्टील पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 7.5 फीसदी करने का ऐलान  कर उन्होंने सस्ते गृह निर्माण की संभावनाओं को भी बल प्रदान किया है। एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड मैनेजमेंट कंपनी बनाने और  बैंकों के एनपीए को देखनी की बात कहकर एक तरह से उन्होंने देश को इस बात का भरोसा भी दिलाया है कि सरकार इन मामलों की सतत निगरानी भी करेगी, न कि मूकदर्शक बनी रहेगी।   स्वास्थ्य जिंदगी की सबसे बड़ी नियामत है। इसलिए सीतारमण ने स्वास्थ्य सेक्टर पर विशेष ध्यान रखा है।

स्वास्थ्य क्षेत्र को सबसे ज्यादा 2.87 लाख करोड़ रुपये का बजट  देकर और स्वास्थ्य बजट में 135 प्रतिशत का इजाफा कर उन्होंने देश को यह बताने और जताने का प्रयास  किया है कि उनकी सरकार के लिए देश का स्वास्थ्य कितनी अहमियत रखता है। यूमोकोल वैक्सीन का प्रयोग 5 राज्य बढ़ाकर पूरे देश में करने और देश में हर साल हो रही 50 हजार बाल मृत्यु रोकने और कोरोना का टीका अधिक से अधिक लगवाने और इसके लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था उन्होंने देश के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की गंभीरता का भी इजहार किया है।

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11 राज्यों के सभी जिलों में  एकीकृत स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं  खोलने और 3382 ब्लाॅक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना और 602 जिलों और 12 केंद्रीय संस्थानों में क्रिटिकल हाॅस्पिटल्स ब्लाॅक बनाने की घोषणा तो कमोवेश इसी ओर इशारा करती है।नौकरी पेशा लोगों को टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न होने से भले ही निराशा हाथ लगी हो लेकिन 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को आयकर रिटर्न न भरने की सुविधा देकर सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। यह और बात है कि बुजुर्गों को यह छूट  सिर्फ पेंशन पर दी जा रही है, न कि बाकी किसी तरीके से हुई कमाई पर। मौजूदा बजट में बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी तक  विदेशी निवेश का ऐलान किया गया है, जो पहले सिर्फ 49  प्रतिशत था। निवेशकों के लिए चार्टर बनाने का भी ऐलान किया गया है।

इस साल रेल बजट पर 1.10 लाख करोड़ रुपये खर्च  होने हैं इनमें से पूंजीगत व्यय के लिए 1.07 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बड़ी लाइनों पर चलने वाली सभी ट्रेनों को बिजली से चलाया जाएगा। शहरों में मेट्रो ट्रेन सर्विस और सिटी बस सर्विस को बढ़ाने के  प्रावधान बताते हैं कि देश की  गति में तेजी आने वाली है। वर्ष 2022 तक  ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के  शुरू हो जाने की भी उन्होंने बात कही। आत्मनिर्भर भारत को प्रमोट करने के लिए लॉजिस्टिक्स में होने वाले खर्च में कटौती  करने की इच्छा जाहिर कर उन्होंने यह साबित करने का भी प्रयास किया है कि जिस तरह कोरोना काल में दुनिया के तमाम देश आर्थिक संकट झेल रहे हैं, भारत भी उनसे अछूता नहीं है।

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इसलिए उसे कहीं न कहीं अपने हाथ सिकोड़ना तो पड़ेगा ही। कुछ राजनीतिक इस बजट को चुनावी बजट भी कह सकते हैं। तमिलनाडु में 3300 किलोमीटर नेशनल हाइवे एक लाख 3 हजार करोड़ की लागत से बनाने की बजट घोषणा की गई है। केरल में 1100 किलोमीटर नेशनल हाइवे 65 हजार करोड़ रुपये में बनेगा। इसी तरह बंगाल में 25 हजार करोड़ की लागत से हाइवे बनेंगे जबकि कोलकाता-सिलीगुड़ी रोड अपग्रेड की जाएगी।  असम में जहां 34 हजार करोड़ की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार किया जाना है, वहीं केरल-मुंबई कन्याकुमारी काॅरिडोर का निर्माण भी होना है। जाहिर सी बात है कि जब सरकार क्षेत्र में काम करेगी तो उसे उसका राजनीतिक लाभ भी होगा। इस युगसत्य को नकारा नहीं जा सकता।

पैसेंजर ट्रेनों में नए एलएचबी कोच जोड़े जाने की बात कर उन्होंने यात्राओं को और अधिक आरामदायक  बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को विकसित करने के लिए 15700 करोड़ रुपये दिए गए हैं। एमएसएमई में एआई और मशीन लर्निंग पर जोर  तो दिया ही है, साथ ही छोटी कंपनियों के लिए शेयरों के जरिए पेडअप कैपिटल सीमा बढ़ाने की भी बात कही है। आत्मनिर्भर पैकेज के तहत 27.1 लाख करोड़ रुपये की घोषणा बताती है कि सरकार जो कह रही है, उसे करने की दिशा में भी प्रतिबद्ध है। निर्मला सीतारमण ने 2020 के बजट में घोषणा की थी कि इंडस्ट्री, कॉमर्स के विस्तार के लिए 27300 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इससे इस सेक्टर को नई ताकत मिली।

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इसमें कोई संदेह नहीं है। जो लोग आर्थिक विकास दर घटने की बात कर रहे हैं कि उन्हें समझना होगा कि संरचानात्मक विकास पर जो पैसे खर्च होते हैं, उनका लाभ निकट के कुछ वर्षों में होता है। इसे नुकसान की कोटि में रखना न तो न्यायसंगत है और न ही व्यावहारिक।  सरकार ने पेट्रोल पर 2.5 रुपए और डीजल पर 4 रुपए एग्री सेस का प्रस्ताव रखा है। यह 2 फरवरी से लागू हो जाएगा। हालांकि, वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि इसका बोझ आम आदमी पर नहीं आने दिया जाएगा। इसके लिए बेसिक एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी घटा दी गई है। इस दावे को पूरा करने में सरकार कितनी सफल होगी, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन सरकार का बेहतर सोचना भी बहुत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह बजट मिनी बजट से अधिक नहीं होगा लेकिन इस बजट में जिस तरह आत्मनिर्भर भारत की योजना परिलक्षित हुई है, उस भावभूमि की सराहना की जानी चाहिए। शिक्षा क्षेत्र के विकास पर भी बजट में पूरा ध्यान दिया गया है। स्वयंसेची संगठन, राज्य सरकारों और  निजी क्षेत्र की मदद से 100 नए सैनिक स्कूलों की शुरुआत, लेह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण,  आदिवासी क्षेत्रों में 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों में सुविधा सुधार, अनुसूचित जाति के 4 करोड़ बच्चों के लिए 6 साल में 35219 करोड़ रुपए खर्च करने, आदिवासी बच्चों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप  लाने की घोषणा तो शिक्षित भारत-विकसित भारत की परिकल्पना को ही साकार करती है। कोरोना वैक्सीन पर 2021-22 में 35,000 करोड़ खर्च करने और आवश्यकतानुरूप और ज्यादा फंड देने, पोषण पर ध्यान देने, स्वच्छ जलापूर्ति बढ़ाने पर 5 साल में 2.87 लाख करोड़ रुपए खर्च  करने तथा शहरी इलाकों के लिए 1.48 लाख करोड़ की लागत से जल जीवन मिशन शुरू करने की घोषणा इस बात का संकेत है कि सरकार की नजरों में किसी क्षेत्र की उपेक्षा नहीं हुई है। कुल मिलाकर बजट पूरी तरह विकास उन्मुख है जिस तरह शेयर बाजार ने 965 अंक तक उछलकर इसका स्वागत किया है, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह पूरी तरह विकास का बजट है। समावेशी बजट है और भारत की आत्मनिर्भरता का बजट है, इसे नकारा नहीं जा सकता।

Tags: Budget 2021fianance minister nirmala sitaramanNational newspm modiUnion Budget 2021
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