उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम तथा खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि भारतीय हथकरघा उद्योग देश का प्राचीन और सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है, इस परंपरागत एवं उत्कृष्ट शिल्प कौशल का संक्षरण किया जा रहा है।
श्री सिंह ने आज यहां हैण्डलूम एवं हैण्डीक्राफ्ट प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। नाबार्ड द्वारा प्रायोजित यह प्रदर्शनी शहर के सहारा गंज मॉल में 24 सितम्बर तक चालू रहेगी। इस प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश के 40 जिलों से लगभग 100 से अधिक महिला कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, एफपीओ के सदस्यों के उत्पादों का प्रदर्शन एवं बिक्री की जायेगी।
इस अवसर पर श्री सिंह अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय हथकरघा उद्योग भारत का प्राचीन और सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है, इस परंपरागत एवं उत्कृष्ट शिल्प कौशल का संक्षरण किया जा रहा है। देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले इन कलाकारों की कारीगरों को विश्व स्तर पर सराहा जाता रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड द्वारा किये गये इस प्रयास से हस्तशिल्पियों के उत्पादों के विपणन और उनकी आय में वृद्धि के लिये निश्चय ही महत्वपूर्ण कदम है।
श्री सिंह ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी), विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम बुनकरों, कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों के व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। मार्केटिंग के लिए इनकों ऑनलाइन प्लेटफार्म से जोड़ा गया है। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर जनपद प्रयागराज में फ्लैटेड फैक्ट्री की स्थापना कराई जा रही है। एक छत के नीचे कुटीर उद्योगों को रॉ-मटेरियल बैंक, ट्रेनिंग सेंटर सहित मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कारीगर अपने हुनर को अपने घर तक सीमित न रखे। क्लस्टर से जुड़े और अपने छोटे व्यवसाय को बड़ा कारोबार बनायें।
इस मौके पर नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, डा0 डी0एस0 चौहान ने नाबार्ड द्वारा हथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास के लिए क्रियान्वित योजनाओं के विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वाणिज्यिक, राज्य सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम बुनकरों, बुनकर समूहों एवं सहकारी समितियाें को कार्यशील पूंजी और विपणन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रहा है।
इस अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक के महा प्रबंधक आलोक सिन्हा भी मौजूद थे।