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ISRO जासूसी कांड : जिस वैज्ञानिक को कहा था देश का गद्दार, उन्हें मिला 1.30 करोड़ मुआवजा

Desk by Desk
12/08/2020
in केरल, राजनीति, राष्ट्रीय
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नई दिल्ली। केरल सरकार ने ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन को ढाई दशक पुराने उस जासूसी मामले के निपटारे के लिए 1.30 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिया। पिछले साल दिसंबर में ही केरल राज्य कैबिनेट ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन को 1.30 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी थी।

ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन (79) द्वारा तिरुवनंतपुरम में सत्र न्यायालय में 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी ‘अनावश्यक’ थी और उन्हें फंसाया गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 50 लाख रुपए की अंतरिम राहत देेने का आदेश दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि नांबी नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे उचित मुआवजे के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं। इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उन्हें 10 लाख रुपए की राहत देने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव के. जयकुमार को इस मामले को देखने और एक सटीक मुआवजा राशि तय करने और मामले का निपटारा करने को कहा था। बाद में अदालत के समक्ष उनके सुझाव प्रस्तुत किए गए और एक समझौता किया गया। केरल सरकार द्वारा मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नांबी नारायणन ने कहा कि मैं खुश हूं। यह केवल मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है। मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी।

इसरो जासूसी मामला दो वैज्ञानिकों और दो मालदीवियन महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा दुश्मन देशों को काउंटी के क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के कुछ गोपनीय दस्तावेजों और सीक्रेट के हस्तांतरण के आरोपों से संबंधित है। नंबी नारायणन के खिलाफ साल 1994 में दो कथित मालदीव के महिला खुफिया अधिकारियों को रक्षा विभाग से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगा था। नारायण को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। 2 माह तक उन्हें जेल में ही रहना पड़ा था।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नारायणन को काफी यातनाएं दी गईं। इतना ही नहीं, वर्षों तक जब तक इन्हें न्याय नहीं मिला और बेकसूर साबित नहीं हुए, तब तक इन्हें देश का गद्दार तक कहा गया। यह मामला उस वक्ता काफी गरमाया हुआ था। इस इसरो जासूसी सनसनीखेज मामले को लेकर कई किताबें लिखी गईं। नारायणन को पिछले साल पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।नारायणन के मुताबिक, उनके सहयोगी और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने आरोप मुक्त होने के बाद मुकदमे से बचने की सलाह दी थी। लेकिन वह गुनाहगारों को सजा दिलाने और मुआवजा पाने के फैसले पर अडिग थे।

कहा जाता है कि यह प्रकरण राजनीतिक खींचतान का नतीजा था। इस मुद्दे पर कांग्रेस के एक वर्ग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरण को निशाना बनाया। इस वजह से उन्हें बाद में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसरो के वैज्ञानिक नांबी नारायणन को उस गुनाह के लिए सजा और जिल्लत झेलनी पड़ी, जो कभी हुई ही नहीं। केरल पुलिस ने उन्हें रॉकेट के क्रायोजेनिक इंजन की परियोजना से जुड़े दस्तावेजों की चोरी कर मालदीव के रास्ते पाकिस्तान देने के आरोप में गिरफ्तार किया। जबकि सच्चाई यह थी कि वह तकनीक मौजूद ही नहीं थी।

Tags: 1994 espionage caseformer ISRO scientistISROISRO espionage caseKeralaKerala governmentS Nambi NarayananSupreme Courtभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
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