श्रीहरिकोटा। ISRO ने खास नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए कल ही काउंटडाउन शुरू की थी। 27.5 घंटे का काउंटडाउन सेट किया गया था। भारतीय GSLV रॉकेट की मदद से सैटेलाइट को 10.42 बजे लॉन्च किया गया। इसरो के वैज्ञानिकों ने रविवार को 7.12 बजे काउंटडाउन शुरू की थी। यह नेविगेशन सैटेलाइट सीरीजी का सेकेंड जेनरेशन रीजनल सैटेलाइट है।
खास बात यह है कि भारत रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च करने वाला पहला देश है। स्पेस में ग्लोबल नेविगेशन सेटालाइट्स की संख्या चार है। मौजूद सैटेलाइट को तमिलनाडु स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया है। नेविगेशन सैटेलाइट रियल-टाइम जियोपॉजिश्निंग और टाइमिंग सर्विसेज मुहैया कराएगा। इस सैटेलाइट को स्पेस में ले जाने वाला रॉकेट जीएसएलवी का यह 15वां स्पेस ट्रिप है। नेविगेशन सैटेलाइट को एनवीएस-01 नाम दिया गया है। इसका वजन 2,232 किलोग्राम बताया जा रहा है।
नेविगेशन सैटेलाइट में लगी है स्वेदशी रुबिडियम परमाणु घड़ी
ISRO ने कहा कि उड़ान के लगभग 20 मिनट बाद 251 किलोमीटर की ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में सैटेलाइट को तैनात किया किया जाएगा। एनवीएस-01 के नेविगेशन पेलोड्स में एल1, एल5 और एस बैंड शामिल हैं, जिसमें पिछले अन्य सैटेलाइट्स की तुलना में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी लगाई गई है। पहले भारत को इंपोर्टेड रुबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता था, जो सटीक रूप से तारीख और समय बताता है।
सिर्फ भारत के पास है रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम
जीएसएलवी इस सैटेलाइट को ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ेगा और फिर यहां से ऑनबोर्ड मोटर्स की मदद से आगे भेजा जाएगा। भारत ने स्पेस में नेविगेशन विंद इंडियन कंसल्टेशन सर्विसेज स्पेस में स्थापित कर रखा है। यह भारत का एक रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है, जो ठीक जीपीएस जैसा ही काम करता है। इसकी मदद से रियल टाइम नेविगेशन में मदद मिलती है, जो भारत और आसपास के 1500 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है।
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नेविगेशन सैटेलाइट की खासियत
नेविगेशन सैटेलाइट की मदद से रियल-टाइम जियोपॉजिश्निंग, नेविगेशन और समय का पता लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर सिविल एविएशन और मिलिट्री जरूरतों के हिसाब से किया जाता है। हालिया लॉन्च सैटेलाइट एल1 पेलोड से लैस है जो पॉजिश्निंग, नेविगेशन और टाइमिंग सर्विसेज मुहैया कराएगा। नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मदद टेरिस्टेरियल, एरियल और मैरिटाइम नेविगेशन का पता लगाया जा सकता है। मोबाइल फोन में लोकेशन सर्विसेज भी इसी सैटेलाइट से मिलती है।