धर्म डेस्क। यह श्राद्ध पक्ष का समय चल रहा है। इन दिनों अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा भाव के साथ श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। श्राद्ध कर्म तिथियों के अनुसार किए जाते हैं। श्राद्ध की हर एक तिथि का अपना महत्व होता है। पितृ पक्ष की इन्हीं तिथियों में से एक है माघ श्राद्ध। यह तिथि 15 सितंबर को मंगलवार के दिन पड़ रही है। यानी मघा श्राद्ध 15 सितंबर को किया जाएगा।
हिन्दू पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि के दिन होने वाली श्राद्ध को मघा श्राद्ध कहते हैं, जो मघा एवं त्रयोदशी के योग में आता है। शास्त्रों में यह बताया गया है कि मघा नक्षत्र में किया जाने वाला श्राद्घ पराक्रम, प्रतिष्ठा, शुभ लक्ष्मी तथा वंश वृद्घि करने वाला होता है।
ज्योतिष शास्त्र में मघा नक्षत्र के देव पितृ हैं। इसलिए श्राद्ध में इस तिथि का महत्व अधिक है। मघा नक्षत्र का नक्षत्र मंडल में दसवाँ स्थान माना जाता है और इसके चारों चरण सिंह राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। राशि स्वामी सूर्य है।
यदि माघ नक्षत्र अपराह्न काल के दौरान दो दिनों में आंशिक रूप से प्रबल होता है, तो वह दिन अनुष्ठान करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। यदि माघ नक्षत्र और त्रयोदशी तिथि दोनों एक ही दिन अपर्णा के दौरान रहती हैं तो इसे माघ त्रयोदशी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। यह आम तौर पर पितृ पक्ष का 13वां दिन होता है।
श्राद्ध में अपने पितरों की तस्वीर को सामने रखें। उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें। इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें। खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।
श्राद्ध के समय कोई उत्साह वर्धक कार्य नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पितरों के निमित्त भावभीनी श्रंद्धाजलि का समय होता है। इसलिए इस दिन तामसिक भोजन न करें। घर के प्रत्येक सदस्यों के द्वारा दिवंगत आत्मा हेतु दान जरूर करवाएं और उन्हें पुष्पांजलि दें। किसी गरीब असहाए व्यक्ति को भोजन करवाएं और उसे वस्त्र दें।