लाइफ़स्टाइल डेस्क। कोरोना संक्रमण से जूझ रही दुनिया को जल्द से जल्द वैक्सीन बनाकर देने में महिलाओं ने विशेष योगदान दिया है। इस पर भी खास बात यह है कि वैक्सीन निर्माण को सफल बनाने वाली ये महिला वैज्ञानिक दूसरे देशों से आकर इस मिशन में जुटीं। इन वैज्ञानिकों में भारत की नीता पाटिल भी अहम शख्सियत हैं। आइए जानते हैं कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में महिला वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में…।
हंगरी की वैज्ञानिक केंटिक ने मैसेंजर-आरएनए (एमआरएनए) तकनीक विकसित की, जिसके आधार पर दुनिया को 94 फीसदी असरदार कोरोना वायरस का टीका मिला। इस टीके को अमेरिकी कंपनी फाइजर-बायोएनटेक ने बनाया है। केंटिक अपने शोध के लिए अमेरिका चली गईं थीं और तमाम प्रतिद्वंदी पुरुष वैज्ञानिकों के बीच उन्होंने अपने काम में सफलता पायी। वे टीका निर्माण में बायोएनटेक कंपनी का हिस्सा भी रहीं। बता दें एमआरएनए तकनीक से बनाया टीका शरीर में कोशिकाओं को ऐसा प्रोटीन बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे इम्यून सिस्टम सक्रिय हो।
गुजरात के बेहद गरीब परिवार में पैदा हुईं नीता पटेल एक प्रतिष्ठित टीका वैज्ञानिक हैं। वे नोवावैक्स कंपनी का कोरोना टीका बनाने की टीम का नेतृत्व कर रही हैं जो कि अमेरिका के मैरीलैंड की कंपनी है। खास बात यह है कि उनकी टीम में सभी सहयोगी वैज्ञानिक महिलाएं हैं।
अभी नोवावैक्स के उम्मीदवार टीके का डाटा प्रकाशित नहीं हुआ है पर प्रारंभिक चरणों में यह टीका वायरस पर असरदार साबित हुआ है। नीता गरीब परिवार से हैं। उनके पिता की टीबी से मौत हो गई थी। तब वे 4 साल की थीं। उन्हें बस के किराए के लिए पैसे उधार लेने पड़ते थे। पिता की बीमारी ने ही उनके मन में चिकित्सा के प्रति रुचि जगाई। वे शादी के बाद अमेरिका में बस गई थीं।