धर्म डेस्क। गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। भादों मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है इस बार गणेश चतुर्थी 22 अगस्त के दिन पड़ रही है। इस दिन लोग अपने बप्पा को बड़े धूमधाम के साथ घर में लाकर स्थापित करते हैं। गणेश जी को घर में लाने से रिद्धि-सिद्ध, शुभ-लाभ सभी आपके घर में विराजते हैं। गणेश जी का स्वरुप सभी से निराला है। इनके स्वरुप से मनुष्य को जीवन जीने की सीख मिलती है।
गणेश जी की सवारी मूषक है। जो बहुत ही छोटा है। उनका पेट विशाल है, इन सब के बावजूद भी गणेश जी ने हर बात में अपने आपको सदैव सिद्ध किया। जिसके कारण वे सर्वप्रथम पूजनीय हैं। इससे हमें सीख मिलती है कि हर परिस्थिति में हमारे अंदर कार्य करने की क्षमता होनी चाहिए, और अपने आप को सिद्ध करना चाहिए।
गणेश जी के कान बड़े हैं। उनके कानों से हमें सीख मिलती है कि व्यक्ति को हर किसी की बात ध्यान पूर्वक सुननी चाहिए। एक अच्छा श्रोता बनकर अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए।
गणेशजी की आंखें से हमें सीख लेनी चाहिए कि हर कार्य और परिस्थिति पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए। उनकी आंखे दूरदर्शिता का प्रतीक हैं। हमें भी हर कार्य में दूरदर्शी होना चाहिए।
गणेश जी गजमुख है और उनका माथा विशाल है जो बुद्धि का प्रतीक है। इसलिए हमें गणेश जी से बुद्धि के साथ हर कार्य को करने की सीख मिलती है। बुद्धि के साथ किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।