अयोध्या। 22 जनवरी को भगवान राम (Lord Ram) के मंदिर के उद्घाटन के पहले उनका प्रसाद उन 62 करोड़ रामभक्तों तक पहुंचाने की तैयारी है जिन्होंने राम मंदिर के लिए किसी न किसी प्रकार से अपना सहयोग दिया था। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के 45 सांगठनिक प्रान्तों के विशेष पदाधिकारी चार नवंबर तक अयोध्या पहुंच जाएंगे। पांच नवंबर को वे अयोध्या से भगवान राम (Lord Ram) के प्रसाद के रूप में एक अक्षत कलश लेकर अपने प्रान्तों को रवाना होंगे। इस अक्षत प्रसाद को प्रांत से विभाग, विभाग से प्रखंड और अंततः राम भक्तों के घरों तक पहुंचाया जाएगा। इसके माध्यम से देश के पांच लाख गांवों तक पहुं चकर सबको राम मंदिर के उद्घाटन के दिन पूजा-पाठ के जरिए उद्घाटन कार्यक्रम से जोड़ना है।
अक्षत कलश कार्यक्रम में शामिल विहिप कार्यकर्ताओं के पास उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण पत्र भी होंगे। इसे क्षेत्र के गणमान्य लोगों को देकर उद्घाटन कार्यक्रम में उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। चूंकि, उद्घाटन के दिन अयोध्या में भारी संख्या में लोगों के पहुँचने का अनुमान है, राम मंदिर ट्रस्ट और विहिप ने लोगों से अपील की है कि वे अयोध्या पहुंचने की बजाय अपने स्थानीय मंदिर पर आयोजित कार्यक्रम में ही सहभागिता करें।
62 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य- विहिप
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने अमर उजाला को बताया कि राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण के समय लोगों से अंशदान लेने के लिए 44 दिन का एक कार्यक्रम चलाया गया था। विहिप इस कार्यक्रम में देश के 13 लाख गाँवों के 62 करोड़ लोगों तक पहुंचने में सफल रहा था। इसके अलावा राम मंदिर के लिए चले आन्दोलन से लेकर इतिहास के अलग-अलग कालखंड में अन्य अनेक लाखों लोगों ने मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी। उनका प्रयास है कि राम मंदिर उदघाटन में इन सबकी सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
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इसके लिए अक्षत कलशों के माध्यम से लोगों तक प्रसाद पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इस दौरान विहिप कार्यकर्ता सबको 22 जनवरी को राम मंदिर (Ram Mandir) उद्घाटन के दिन अपने आसपास के मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना के कार्यक्रम में सहभागी बनने की अपील करेंगे। अभी तक एक लाख से अधिक मंदिरों में पूजा-प्रार्थना करने की योजना बनाई गई है, लेकिन विहिप की कोशिश है कि राम मंदिर उद्घाटन के दिन देश का कोई भी मंदिर इस अभियान में सम्मिलित होने से न बचे। इसके लिए सभी मंदिरों के प्रशासकों-पुजारियों से संपर्क किया जा रहा है।