लाइफ़स्टाइल डेस्क। सोशल मीडिया दो-धारी तलवार की तरह है। एक तरफ जहां यह अपनों से जुड़े रहने का मौका देकर अकेलेपन और बेचैनी का एहसास दूर रखता है। वहीं, दूसरी ओर साइबर बुलिंग और दूसरों के जीवन से तुलना की प्रवृत्ति के चलते इसका इस्तेमाल डिप्रेशन का सबब बन सकता है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने इसी के मद्देनजर कुछ ऐसे उपाय सुझाए हैं, जो मानसिक सेहत पर सोशल मीडिया के इस्तेमाल का सिर्फ सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करने में कारगर साबित होंगे। इनमें फेसबुक-व्हॉट्सएप से ब्रेक लेना और दिमाग को अन्य कार्यों में उलझाना प्रमुख है।
इसलिए बुरी है अति
- सोशल मीडिया भले ही दोस्तों-रिश्तेदारों से जुड़ने का मौका देता है, लेकिन दोनों पक्षों में आमने-सामने का संवाद नहीं होता, जो भावनात्मक जुड़ाव के लिए जरूरी है।
- दूसरों के जीवनस्तर और खुशहाली से तुलना के चलते आत्मविश्वास में कमी मुमकिन, यूजर के तनाव, बेचैनी व डिप्रेशन का शिकार होने का भी बढ़ जाता है खतरा।
- विभिन्न अध्ययनों में फेसबुक, व्हॉट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी साइटों से घंटों चिपके रहने वाले लोगों में शारीरिक सक्रियता की कमी के चलते डायबिटीज का जोखिम ज्यादा मिला।
इन लक्षणों को हल्के में न लें
1.खुशी गुम होना
-सोशल साइटें दोस्तों-रिश्तेदारों के संपर्क में रहने का खुशनुमा जरिया हैं। अगर आपको फेसबुक-व्हॉट्सएप के इस्तेमाल में खुशी न महसूस हो या वर्चुअल रिश्ते बेमाने लगने लगें तो समझिए इनसे दूरी बनाने का समय आ गया है।
2.दूसरों से तुलना
-दोस्तों-रिश्तेदारों के पोस्ट देखते समय खुद के रंग-रूप, कद-काठी और खुशियों-उपलब्धियों को लेकर असंतोष की भावना पनपना ठीक नहीं। अगर सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बाद आपके मन में भी नकारात्मक भाव उभरें तो ब्रेक लेने में ही भलाई है।
3.बेवजह इस्तेमाल करना
-कई बार इनसान दिन-रात बेवजह अपनी न्यूजफीड खंगालता रहता है। उसे देश-दुनिया की हलचल जानने के साथ ही दोस्तों-रिश्तेदारों के जीवन में घट रही घटनाओं से रूबरू रहने की इच्छा होती है। यह प्रवृत्ति शारीरिक सक्रियता में कमी का सबब बनती है।