प्रयागराज। गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राजनीति और राजनेता दोनो को दिशाहीन बताया है। स्वामी निश्चलानंद ने माघ मेला में अपने शिविर में “राजनीतिक परिवेश” पर बातचीत करते हुए कहा कि राजनीति दिशाहीन है, राजनेता भी प्राय: दिशाहीन है। राजनीति की परिभाषा ही ठीक से नहीं मालूम तो परिवेश का क्या महत्व?
उन्होंने सुसंस्कृित, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न,सेवा परायण, स्वस्थ्य,सभ्यताप्रद व्यक्ति और समाज की संरचना वेदादि शास्त्र संबद्ध राजनीति की परिभाषा बताया है। उन्होंने बताया कि नीति और धर्म पर्यायवाचक हैं।
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पीठाधीश्वर ने बताया कि हमने जो राजनीति की परिभाषा दी, वह परिभाषा ही अभी क्रियान्वित नहीं है। राजनीति के लिए राजधर्म, अर्थनीति, दण्डनीति, छात्र धर्म इन शब्दों का प्रयोग महाभारत आदि में हुआ था। राजनीति को ही राजधर्म कहा गया है। महाभारत में राजधर्म पर्व है।
उन्होंने कहा कि सुसंस्कृति, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न,सेवा परायण, स्वस्थ्य, सभ्यताप्रद व्यक्ति और समाज की संरचना वेदादि शास्त्रों के अनुसार राजनीति की परिभाषा निर्धारित होती है। उसको क्रियान्वित करने पर देश भव्य हो सकता है और भव्य विश्व की संरचना हो सकती है।