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ठंड में धड़ल्ले ले जलाई जा रही पॉलीथीन, जानलेवा स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

polythene

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लखनऊ। कड़ाके की ठंड से बचने के लिये उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से जलायी जा रही प्रतिबंधित पालीथीन और टायर जैसे हानिकारक रासायनिक पदार्थ प्राण वायु को प्राण घातक बनाने में महती भूमिका अदा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अदालत के आदेश का अक्षरश: पालन करने की कटिबद्धता जताते हुये अपने कार्यकाल के दौरान अब तक कम से कम पांच बार प्रतिबंधित पालीथीन के इस्तेमाल पर रोक लगा चुकी है मगर जवाबदेह अफसरों की उदासीनता सरकार की कटिबद्धता का मखौल उड़ाने में कोई कोताही नहीं बरत रही है,नतीजन राज्य के हर शहर में प्रतिबंधित पालीथीन का इस्तेमाल खुलेआम जारी है।

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इस बीच कड़ाके की ठंड से बचने के लिये अलाव के तौर पर खुलेआम जल रहे टायर ट्यूब और पालीथीन हवा में विषैले तत्वों को इस कदर घोल रहे है कि लगभग समूचे राज्य में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है जो श्वांस रोगियों के लिये जानलेवा होने के साथ विदा हो रहे कोरोना संक्रमण को हवा देने में महती भूमिका निभा सकता है।

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सार्वजनिक स्थानों पर पुराने टायर, ट्यूब, प्लास्टिक, पाॅलीथिन और मोटर वाहन के खराब तेल का अलाव जलाने से टौक्सिक रसायन, पीएम 10 व 2.5 माइक्रोमीटर माप के छोटे कार्बन कण, बेंजीन, पारा, वैनेडियम तथा कैंसर फैलाने वाले डाईऔक्सिंस और फ्यूरियस हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है।

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चिकित्सकों के अनुसार पालीथीन के प्रयोग से मानव शरीर असाध्य रोग की चपेट आ जाता है। पॉलीथिन के प्रयोग से रक्तचाप, नपुसंकता, अस्थमा, कैंसर और चर्म रोग जैसी घातक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। पॉलीथिन में कुछ घंटों तक रखी गई खाद्य सामग्री विषैली हो जाती है। इन रसायनों से डीएनए खराब होने मानसिक रोग की संभावनाये बढ जाती है। डाईओक्सिंस गैसें दूसरे हानिकारक तत्वों तथा रसायनों की अपेक्षा कैंसर की बीमारी के लिए 10 हजार गुना घातक हैं।

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