नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया। राज्य सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं।
2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास होती है। वोटर ही पार्टियों और उम्मीदवारों का फैसला करते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर दंगा मामले में उनके कथित भाषण की फिर से जांच की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा ने याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि उसने पाया कि उत्तर पुलिस की ओर से की गई जांच और आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने के राज्य सरकार के फैसले में कोई विसंगति नहीं थी।
नवंबर 2008 में दायर याचिका में दावा किया गया था कि योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) उस दंगे के लिए जिम्मेदार थे जो उनके कथित भाषण से हो गया था। मोहम्मद असद हयात और परवेज ने याचिका दायर की थी। दंगे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हयात गवाह थे और परवेज ने मामले के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
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वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें आदित्यनाथ (CM Yogi) और अन्य को मामले में अभियोजन का सामना करने से राहत दी गई थी। 27 जनवरी, 2007 को दो समुदायों के सदस्यों के बीच टकराव के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। योगी आदित्यनाथ उस समय गोरखपुर के सांसद थे और उनके ऊपर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने एफआईआर हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दर्ज की थी।