लाइफस्टाइल डेस्क। इस कोरोना काल में वायरस से बचने के लिए अगर सबसे ज्यादा किसी इस्तेमाल किया जा रहा है तो वो है मास्क और सैनिटाइजर। चूंकि कई लोग बाहर आ-जा रहे हैं, ऐसे में मास्क तो पहनते ही हैं, लेकिन अगर उन्हें लगता है कि उन्होंने किसी ऐसी चीज को छू लिया है, जिससे वायरस के आने का खतरा है तो तुरंत सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं। इस महामारी की शुरुआत में भी लोगों से कहा गया था कि अगर आप घर से बाहर जा रहे हैं तो सैनिटाइजर की एक छोटी बोतल अपने साथ हमेशा रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सकें। हालांकि कई रिपोर्ट में ऐसा भी कहा गया है कि सैनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल भी हानिकारक होता है, ऐसे में बच्चों को इससे सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर छोटे बच्चों को कितनी मात्रा में सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए? आइए जानते हैं इसपर विशेषज्ञ क्या कहते हैं…
सैनिटाइजर का इस्तेमाल बाहरी वस्तु के संपर्क में आने के बाद करते हैं, ताकि अगर वायरस होगा तो नष्ट हो जाएगा। जहां तक छोटे बच्चे की बात है तो अगर वो घर पर ही रहते हैं तो उन्हें साबुन पानी से हाथ धोने की आदत डलवाएं। सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना है तो कर सकते हैं, सिर्फ इतना ध्यान रखना है कि वे हाथ में इसे अच्छी तरह से लगाएं।’
कोविड-19 एक वायरस है जो हर व्यक्ति को एक जैसे प्रभावित नहीं करता है। संक्रमित होने के बाद भी स्वस्थ दिखने वाले एसिम्पटोमेटिक होते हैं। दरअसल, किसी में कम लक्षण आते हैं, तो किसी में वायरस बहुत ज्यादा असर करता है। संक्रमण ज्यादा होने पर सिम्पटोमेटिक कहा जाता है। वायरस कितना असर करेगा, यह इम्यूनिटी और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।’
अगर अब स्कूल खोलने की बात होती है तो जाहिर है न्यू नॉर्मल में रहना होगा। सभी को वायरस से बचने के लिए नियमों के बारे में पता है। सिर्फ उसी का पालन करना है। छात्र भी आपस में दूरी बनाकर रखें, मास्क लगाएं और किसी से बहुत ज्यादा पास जाकर बातचीत न करें।’
‘समाज में कई लोग ऐसे होते हैं, उन्हें जितना भी समझाएं वे समझते नहीं हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें या उनके परिवार को कुछ नहीं होगा या दूसरों को तो कहते हैं, लेकिन खुद नियमों का उल्लंघन करते रहते हैं। महामारी के दौरान नियमों का उल्लंघन होते ही खतरा बढ़ जाता है। कई केस इसी तरह से आते हैं। एक और बात यह कि ऐसे लोग वैक्सीन और दवा की बात करते हैं, लेकिन मास्क नहीं लगाते हैं और अपनी मनमानी करते हैं।’