भारतीय रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई है। रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से एक महिला का शव ताबूत के साथ चलती ट्रेन से गायब हो गया? उसे ढूंढ़ने में रेल अफसरों के पसीने छूट गए। मुम्बई से लेकर प्रयागराज तक मचे हड़कंप के बाद रेलवे ने करीब 16 घंटे बाद शव और ताबूत को ढूंढ निकाला और शव को परिजनों को सौंप दिया। इस दौरान परिवार वालों की सांस अटकी रही और मृतक महिला का संस्कार एक दिन बाद हो सका।
इस मामले में रेलवे के अधिकारी अपनी गलती मानने के बजाय दिमागी तौर पर बीमार किसी अंजान शख्स को दोषी बताकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं।
दरअसल पूरा मामला यूपी के प्रतापगढ़ जिले के पट्टी इलाके का है। यहां की रहने वाली बुजुर्ग महिला सरवरी बेगम कैंसर की बीमारी से पीड़ित थीं. मुम्बई के टाटा हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। तीन दिन पहले इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिवार वालों शव को ताबूत में रखकर उसे ट्रेन के ज़रिये प्रयागराज तक लाने और यहां से एम्बुलेंस से घर ले जाने का फैसला किया। परिवार वालों ने लोकमान्य तिलक टर्मिनस से मडुवाडीह तक चलने वाली ट्रेन नंबर 12167 से अपना टिकट स्लीपर क्लास से बुक कराया, जबकि ताबूत को गार्ड के बगल एसएलआर यानी सामान रखने के कोच में बुक करा दिया। मुम्बई में परिवार वालों ने ताबूत को अपनी मौजूदगी में एसएलआर कोच में चढ़वाया।
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13 सितम्बर को रात करीब 11 बजे ट्रेन जब प्रयागराज के छिवकी स्टेशन पहुंची तो परिवार वाले ताबूत लेने के लिए एसएलआर कोच पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि कोच में रखा ताबूत गायब हो गया है और संभवतः वह रास्ते में कहीं गिर गया है। परिवारवालों ने हंगामा शुरू किया तो मुम्बई से लेकर जबलपुर तक हड़कंप मचा। सभी जगह आरपीएफ को एलर्ट पर डाला गया।
अधिकारियों ने भी इस लापरवाही को गंभीरता से लिया। जिसके बाद शव और ताबूत मध्य प्रदेश के मैहर जिले में ट्रैक के किनारे की झाड़ियों में पड़ा हुआ मिला। ताबूत कई जगह से टूट गया था। इतना ही नहीं शव को भी नुकसान पहुंचा। बहरहाल ताबूत की मरम्मत कराकर उसे दूसरी ट्रेन से मंगलवार शाम करीब चार बजे प्रयागराज भेजा गया। यहां घंटों की औपचारिकता के बाद शव परिवार वालों को सौंप दिया गया। परिवार वाले देर रात शव लेकर प्रतापगढ़ पहुंचे। इस लापरवाही की वजह महिला के शव का अंतिम संस्कार बुधवार दोपहर को हो सका।
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इस मामले में नार्थ सेंट्रल रेलवे जोन के सीपीआरओ डॉ शिवम शर्मा ने पहले तो इस मामले को दूसरे जोन का बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उन्हें जब यह याद दिलाया गया कि प्रयागराज छिंवकी स्टेशन, जहां शव उतरना था, वह इसी जोन में आता है, तब उन्होंने डैमेज कंट्रोल यानी शव के गिरने के बाद रेल महकमे द्वारा की गई कवायद के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जबलपुर के आरपीएफ अफसरों ने जानकारी दी है कि रास्ते में पागल सा दिखने वाला कोई शख्स ट्रेन के नजदीक आ गया था और उसने एसएलआर कोच की सील को तोड़ दिया था। इसी वजह से रास्ते में मैहर के पास ताबूत छिटककर गिर गया। जबकि नियम के मुताबिक जिस स्टेशन पर माल उतरता है वहां पर एस एल आर कोच को विधिवत सील किया जाता है।
इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई के सवाल को उन्होंने वेस्टर्न रेलवे पर छोड़ दिया। वहीं रेलवे की इस लापरवाही से मृतका के परिजनों में दुख के साथ गुस्सा भी है।