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प्रकृति के साथ तकनीक का समन्वय कर बढ़ाएंगे किसानों की आय

उत्तर प्रदेश को जैविक खेती का हब बनाना चाहती है योगी सरकार

Writer D by Writer D
15/08/2022
in उत्तर प्रदेश, लखनऊ
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natural farming

natural farming

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लखनऊ। जन, जमीन और जल की चिंता के लिए योगी सरकार उत्तर प्रदेश को जैविक खेती (Organic Farming) का हब बनाना चाहती है। आज स्वन्त्रता दिवस के अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने इस बाबत अपनी प्रतिबद्धता को फिर दुहराया।

उन्होंने कहा कि  कम लागत में जहरीले रासयनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का उपयोग को कम करते हुए कैसे किसान प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के साथ जुड़ सकते हैं इस दिशा में हम कार्य कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के लिए उत्तर प्रदेश ने मां गंगा के तटवर्ती  27 और बुंदेलखंड के 7 जनपदों को तकनीक के साथ जोड़ते हुए केंद्र सरकार के साथ मिलकर प्रथम चरण में लागू किया है। यह ऐसी खेती होगी जिसका सारा कृषि निवेश भी प्राकृतिक होगा। इस खेती में उन तकनीकों का प्रयोग होगा जो इकोफ्रेंडली हों। एक तरह से यह प्रकृति एवं तकनीक का समन्वय होगा।

करीब हफ्ते भर पहले भी उच्चाधिकारियों की बैठक में उन्होंने इसकी संभावनाओं की चर्चा करते हुए इसको बढ़ावा देने के लिए बोर्ड के गठन का भी निर्देश दिया। इसके पहले भी 14 जून को  उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए

मुख्यमंत्री ने इसमें भाग ले रहे देश भर के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि प्राकृतिक खेती जन, जमीन और जल के लिए सुरक्षित होने की वजह से इकोफ़्रेंडली है। ऐसी खेती गोसंरक्षण में भी मददगार है। इस अभियान से वैज्ञानिकों के जुड़ने से अन्नदाता को बहुत लाभ होगा। इससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा साथ ही तमाम प्रकार के रोगों से मुक्ति से भी मुक्ति मिलेगी। राज्य सरकार सभी मण्डल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित करा रही है। यहां बीज और उत्पाद के सर्टिफिकेशन की सुविधा होगी। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रकार हम अपने प्रदेश को जैविक प्रदेश के रूप में विकसित करने में सफल होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा चैलेंजे है न्यूनतम लागत में अधिक्तम पैदावार। जैविक खेती  कम लागत में अच्छा उत्पादन और विष मुक्त खेती का अच्छा माध्यम है। इसके प्रोत्साहन के लिए इस अभियान से वैज्ञानिक जुड़ेंगे तो न केवल किसानों की आमदनी को कई गुना बढाने में हमें सहायता मिलेगी। आप सबकी मदद से हम उत्तर प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाएंगे।

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मुख्यमंत्री के ये बयान इस बात के प्रमाण हैं कि वह जैविक खेती को लेकर किस तरह संजीदा हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए जैविक यूपी के जरिए जैविक भारत के सपने को साकार करने में लगी है।

यूपी में जैविक खेती (Organic Farming) की संभावनाएं

उत्तर प्रदेश जैविक खेती के लिए भरपूर बुनियादी सुविधाएं पहले से मौजूद हैं। सरकार इन सुविधाओं में लगातार विस्तार भी कर रही है। मसलन जैविक खेती का मुख्यालय नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फॉर्मिंग (एनसीओएफ) गाजियाबाद में स्थित है। देश की सबसे बड़ी जैविक उत्पादन कंपनी उत्तर प्रदेश की ही है। यहां प्रदेश के एक बड़े हिस्से में अब भी परंपरागत खेती की परंपरा है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इसके किनारों पर जैविक खेती की संभावनाओं को और बढ़ा देती है। 2017 के जैविक खेती के कुंभ के दौरान भी एक्सपर्ट्स ने गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित करने की संस्तुति की गई थी।

योगी सरकार की ओर से अब तक किए गए कार्य और नतीजे

जैविक खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए योगी-1 से ही प्रयास जारी हैं। इसके तहत योगी-1 में जैविक खेती के क्लस्टर्स बनाकर किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया। तीन वर्ष के लक्ष्य के साथ 20 हेक्टेयर के एक क्लस्टर से 50 किसानों को जोड़ा गया। प्रति क्लस्ट सरकार तीन साल में 10 लाख रुपए प्रशिक्षण से लेकर गुणवत्तापूर्ण कृषि निवेश उपलब्ध कराने पर ख़र्च करती है। जैविक उत्पादों के परीक्षण के लिए एक प्रयोगशाला लखनऊ में क्रियाशील है। मेरठ और वाराणसी में काम प्रगति पर है। पिछले दो वर्षों के दौरान 35 जिलों में 38,703 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक कृषि परियोजना को स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके लिए 22,86,915 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जैविक खेती के प्रति लोग जागरूक हों। इस बाबत 16 दिसंबर 2021 में कृषि विभाग वाराणसी में 22 जनवरी 2020 को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में नमामि गंगे योजना के तहत कार्यशाला और प्रदेश के पांच कृषि विश्विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), कृषि प्रबन्धन संस्थान रहमान खेड़ा पर जैविक खेती के प्रदर्शन के पीछे भी सरकार का यही मकसद रहा है।

कार्ययोजना

योगी-2 में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए जो लक्ष्य रखा है उसके अनुसार गंगा के किनारे के सभी जिलों में 10 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बुंदेलखंड के सभी जिलों में गो आधारित जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे इस पूरे क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या हल करने में मदद मिलेगी। प्रदेश के हर ब्लॉक में जैविक खेती को विस्तार दिया जाएगा। ऐसे उत्पादों का अलग ब्रांड स्थापित करना, हर मंडी में जैविक आउटलेट के लिए अलग जगह का निर्धारण किया गया है।

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सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में प्रदेश के 3,00,000 क्षेत्रफल पर जैविक खेती का विस्तार करते हुए 7,50,000 किसानों को इससे जोड़ने की है।

जैविक खेती के लिए खरीफ के मौजूदा सीजन ( 2022) से शुरू होने वाली योजना के तहत जिन ब्लाकों  में जैविक खेती के लिए क्लस्टर बनेंगे उसमें से प्रत्येक में 1-1 चैंपियन फार्मर एवं लोकल रिसोर्स पर्सन, 10 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन और 2 लोकल रिसोर्स पर्सन चयनित किए जाएंगे। कुल मिलाकर लक्ष्य जैविक उत्तर प्रदेश के जरिए जैविक भारत का है।

ऑर्गेनिक फॉर्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से 9 से 11 नवंबर 2017 में जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में जैविक कृषि कुंभ का आयोजन किया गया था। इसमें 107 देशों ने भाग लिया था। इससे मिले आंकड़ों के अनुसार उस समय भारत के जिन प्रमुख राज्यो में प्रमाणित जैविक खेती होती थी उनमें राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश का नंबर सातवां था। प्रदेश में जैविक खेती का कुल रकबा 1,01,459 हेक्टेयर था। तबसे अब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्ग दर्शन में इसमें खासी प्रगति हो चुकी है। जैविक क्लस्टर्स को बढ़ावा देकर प्रदेश सरकार 2021-2022 तक 95,680 हेक्टर तक किया जा चुका है। अगले पांच साल में जैविक खेती का रकबा बढ़ाकर क्रमशः 3,00,000 हेक्टेयर करने का है।

Tags: # organic farmingLucknow Newsnatural farmingYogi GovernmentYogi News
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