बहराइच। जिले में आदमखोर भेड़ियों ने 35 से ज्यादा गांवों में आतंक का माहौल बना दिया है। यहां लोग रात में चैन की नींद नहीं ले पाते हैं। रात-रातभर जाकर अपने परिवार की सुरक्षा कर रहे हैं। वन विभाग का कहना है कि महसी तहसील इलाके में छह भेड़ियों (Wolves) का एक झुंड है, जो बच्चों को निशाना बना रहा है। भेड़ियों के हमले में अबतक 9 बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हैं। इनमें से एक और आदमखोर भेड़िये(Wolf) को पकड़ लिया गया है यानी अबतक पांच भेड़िये पकड़ में आ चुके हैं और अब वन विभाग छठे भेड़िये की तलाश में जुटा है।
वन विभाग ने सिसैया चूणामणि हरबक्शपुरवा गांव से आदमखोर को पकड़ा है। भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग ने जाल, पिंजरे और ड्रोन कैमरे लगवाए थे। यहां पुलिस और वन विभाग की टीमें दिन-रात गश्त कर रही हैं ताकि भेड़िये बच्चों को शिकार न बना पाएं।
बहराइच में इन आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए 5 वन प्रभागों बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी की लगभग 25 टीमें लगी हुई हैं। जहां बहराइच के डीएफओ इन भेड़ियों की संख्या कुल छह बता रहे हैं तो प्रभावित इलाकों के ग्रामीण इनकी संख्या दो दर्जन बता रहे हैं। इन गांवों में भेड़ियों की वजह से डर का ऐसा माहौल बना है कि लोग रात-रातभर जागकर गांव का पहरा दे रहे हैं। अपने बच्चों और परिवार को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें अंधेरा होने के बाद घर के बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं।
Operation Bhediya: पकड़ा गया चौथा आदमखोर भेड़िया, 35 गांवों में खौफ का माहौल
इससे पहले बहराइच में भेड़ियों से लोगों को बचाने के लिए 200 पुलिसकर्मियों और देखकर ही मार गिराने वाले शूटरों को इन गांवों में तैनात किया गया था। इसके अलावा पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीमें रात में पेट्रोलिंग भी कर रही हैं। गांव वालों को सलाह दी जा रही है कि अपने बच्चों को सुरक्षित रखें और रात में घरों के गेट लगाकर अंदर ही सोएं।
कबसे शुरू हुआ भेड़ियों (Wolves) का आतंक?
बहराइच के औराही गांव से भेड़ियों (Wolves) के आतंक की शुरुआत हुई थी। यहां भेड़ियों ने पहला अटैक 7-7 साल के दो बच्चों पर किया था। फिरोज नाम के बच्चे पर करीब दो महीने पहले भेड़ियों के झुंड ने हमला कर दिया था। वो अपनी मां के साथ सोया था तभी रात करीब 12 बजे एक भेड़िया घर के बरामदे में घुसा और उसकी गर्दन दबोचकर भाग गया। इस दौरान उसकी मां दोनों पैर पकड़कर बच्चों को बचाने की कोशिश करती रही। भेड़िया बच्चे को करीब 200 मीटर दूर तक खेत में घसीटकर ले गया। जब उसकी मां ने शोर मचाया तो गांव के लोग जुटे और फिर वो भेड़िया बच्चे को गांव के पास खेत में छोड़कर भाग गया। लहू लुहान फिरोज को फिर परिवार और गांव के लोग अस्पताल ले गए, जहां 13 दिनों तक इलाज के बाद उसकी जान बची। उसके चेहरे, गर्दन, सिर, कान, पीठ और छाती पर भेड़िए के काटे हुए निशान आज भी मौजूद हैं और वह बच्चा भेड़िए के नाम से ही सिहर जाता है।