• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

इस चीज को हमेशा बांटने से डरता है मनुष्य, बांटने से मिलता है अमृत

Desk by Desk
14/08/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
0
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

लाइफ़स्टाइल डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार अपनों को खाना खिलाकर बचे हुए भोजन से अपनी भूख शांत करने पर आधारित है।

”स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वो अमृत भोजी कहलाता है।” आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि कुछ लोग सबसे पहले अपने करीबियों को भोजन खिलाकर उनकी भूख शांत करते हैं। इसके बाद उनके पास खाने को जो कुछ भी बचता है वो खुद खाते है्ं। ऐसा भोजन अमृत भोजन होता है। मान्यताओं के अनुसार भूखे को भोजन खिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। जो व्यक्ति स्वयं की नहीं बल्कि पहले दूसरों की भूख को शांत करने का प्रयास करता है और बाद में जो भी खाना बचता है उसे खाता है। ऐसा भोजन अमृत भोजन कहा जाता है।

उदाहरण के तौर पर कई बार ऐसा होता है कि आपकी मां ने बड़े ही प्यार से घर में मौजूद लोगों की संख्या के आधार पर खाना बनाया। जैसे ही सब लोग खाने के लिए बैठे तो अचानक कोई करीबी रिश्तेदार आ गया। खाने के वक्त आए मेहमान से खाने को न पूछना उसका निरादर होता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि आपकी माता जी खाना परोसेंगी। ज्यादातर घरों में लोग नपातुला ही खाना बनाते हैं। ऐसे में मां मेहमान को खाना परोसते वक्त ये नहीं सोचती हैं कि अगर उसने सब परोस दिया तो उसके लिए क्या बचेगा।

मेहमान के खाना खाने के बाद कई बार बनाया हुआ खाना बचता है तो कई बार खाना नहीं बचता। ऐसे में मां दूसरों की खाने खिलाने के बाद जो भी खाना खाती है वो अमृत भोजन कहलाता है। फिर चाहे वो सूखी रोटी ही क्यों न हों। क्योंकि किसी भी भूखे को खाना खिलाना पुण्य से कम नहीं होता। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वो अमृत भोजी कहलाता है।

Tags: chanakyachanakya nitichanakya niti in hindichanakya niti life lessonschanakya niti quoteschanakya quoteschanakya storiesJeevan Mantrashort note on chanakyaचाणक्य नीतिचाणक्य ने अनमोल विचार
Previous Post

तीन चीजों से बनाए रखें निश्चित दूरी, भारी नुकसान होने का खतरा

Next Post

कमाया धन तभी काम आता है, जब होता है इस तरह इस्तेमाल

Desk

Desk

Related Posts

Feet
फैशन/शैली

पैरों की सफाई के लिए अपनाएं ये तरीकें, चुटकियों में चमक उठेंगे तलवे

25/09/2025
Winged Eyeliner
Main Slider

विंग्ड आईलाइनर लगाने के है क्रेज, तो इन सैंपल स्टेप्स से आसानी से लगाएं

25/09/2025
Beauty tipskarelakarela face packkarela face pack for skinskinskin beautySkin Care Tips
फैशन/शैली

इस कड़वी चीज से मिलेगी ग्लोइंग स्किन, जानें इस्तेमाल का तरीका

25/09/2025
Tawa
धर्म

रसोई से जुड़ी ये गलितयां मां लक्ष्मी को करती है नाराज

25/09/2025
maa durga
धर्म

शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का करें पाठ

25/09/2025
Next Post

कमाया धन तभी काम आता है, जब होता है इस तरह इस्तेमाल

यह भी पढ़ें

Poha Pakora

बारिश में ट्राई करें हेल्दी पोहा पकौड़ा रेसिपी

17/07/2025
दीप सिद्धू Deep Sidhu

लाल किले के मुख्य उपद्रवी दीप सिद्धू समेत चार पर एक लाख का इनाम घोषित

03/02/2021
CM Yogi

जन स्वास्थ्य की रक्षा हमारा दायित्व: सीएम योगी

22/06/2023
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version