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कोविड वैक्सीन को नाकाफी मानते हैं दुनिया के कुछ वैज्ञानिक

Writer D by Writer D
08/12/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, राष्ट्रीय, विचार
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corona vaccine

corona vaccine

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मुकुल व्यास

कोविड वैक्सीन की दिशा में प्रगति के आशाजनक संकेत मिलने के बाद दुनिया में फैली इस महामारी को थामने की उम्मीद बढ़ गई है। लेकिन दुनिया के कुछ वैज्ञानिक कोविड वैक्सीन को नाकाफी मानते हैं। उनका इरादा एक ऐसी वैक्सीन बनाने का है जो न सिर्फ सिर्फ कोविड से बचाव करेगी बल्कि दूसरे कोरोना वायरसों से भी निपटेगी जिनसे सार्स, मेंर्स और सामान्य सर्दी जुकाम जैसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं।

ऐसी वैक्सीन बनाना आसान नहीं है। तकनीकी और वित्तीय दृष्टि से यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रॉजेक्ट है। अभी तक किसी ने भी इस तरह की संपूर्ण वैक्सीन बनाने की कोशिश नहीं की है, हालांकि कुछ वैज्ञानिक यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन और एड्स वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। कोविड-19 के विश्वव्यापी प्रभाव को देखते हुए एक संपूर्ण कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत बहुत बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की वैक्सीन न सिर्फ ज्ञात कोरोना वायरसों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बचाव करेगी बल्कि भविष्य में जानवरों से मनुष्य में जंप करने वाले दूसरे वायरसों से फैलने वाली महामारियों की रोकथाम में भी काम आएंगी।

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अमेरिका की एडाजियो कंपनी की चीफ सांइटिफिक ऑफिसर डॉ. लॉरा वाकर का कहना है कि दुनिया में कोरोना से हुई मौतों की भारी तादाद को देखते हुए हमें अभी से भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। इसका व्यावहारिक तरीका यह है कि हम पहले से कोई चीज तैयार रखें। उन्होंने कहा कि सार्स जैसे वायरस चमगादड़ों की आबादी में मौजूद हैं और इनमें से कुछ मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने में समर्थ पाए गए हैं। इसलिए हमें ऐसी वैक्सीनों और एंटीबॉडी थेरपी की जरूरत है जो हमें अतीत, वर्तमान और भविष्य के कोरोना वायरसों से बचा सकें। वॉकर की कंपनी इस समय दो सार्स वायरसों और भविष्य में प्रकट होने वाले दूसरे कोरोना वायरसों को निष्प्रभावी करने के लिए एंटीबॉडी थेरपी विकसित कर रही है।

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संपूर्ण कोरोना वैक्सीन पर काम करने वाली एक कंपनी वीबीआई वैक्सींस के प्रमुख अधिकारी जैफ बैक्सटर का कहना है कि एक बार कोविड वैक्सीन बनने के बाद सार्स-कोव-2 वायरस में म्यूटेशन अथवा परिवर्तन हो सकता है। सार्स वायरस नई स्थितियों में खुद को ढालने में काफी सक्षम होते हैं। ऐसी स्थिति में उनमें काफी परिवर्तन होते हैं। सार्स-कोव-2 के म्यूटेशनों या कोरोना वायरस के परिवार से बचाव के लिए कोई संपूर्ण वैक्सीन बनाने से पहले वैज्ञानिकों को इन सभी वायरसों में ऐसी समान जगह ढूंढनी पड़ेगी, जिन पर एंटीबॉडीज अपना निशाना साध सके। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ‘ब्रॉडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज’ के जरिए वायरस की विभिन्न किस्मों पर हमला बोल सकती है। ब्रॉडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज दरसअल वे एंटीबॉडीज हैं जो वायरस की विभिन्न किस्मों को निष्प्रभावी कर सकती हैं।

अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च संस्थान में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायॉलजी के विभागाध्यक्ष प्रो. डेनिस बर्टन ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने एचआईवी और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ ब्रॉडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज देखी हैं। इससे यह अंदाज लगाया जा सकता है कि उन वायरसों को भी निशाना बनाना संभव है, जो एक-दूसरे से थोड़े भिन्न हों। मसलन अगर हम सार्स-कोव और सार्स-कोव-2 वायरसों के खिलाफ ब्रॉडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज उत्पन्न कर सकें तो हम इनका प्रयोग दोनों वायरसों के खिलाफ कर सकते हैं। इनका प्रयोग सार्स-कोव-3 के खिलाफ भी हो सकता है जिसे अभी हमने नहीं देखा है। लेकिन यह काम आसान नहीं है। विभिन्न कोरोना वायरसों के खिलाफ काम करने वाली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की पहचान करने के बाद वैज्ञानिकों को यह देखना होगा कि इनका प्रयोग वैक्सीन के रूप में किस प्रकार किया जा सकता है। इस काम में कई साल लग सकते हैं।

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इस समय कम से कम पांच कंपनियां कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। फिलहाल ये सारे प्रयास प्रारंभिक अवस्था में है। दुनिया में जब भी कोई महामारी फैलती है, हर प्रयोगशाला में रिसर्च शुरू हो जाती है। यदि लॉकडाउन या हर्ड इम्यूनिटी की वजह से वायरस थमने लगता है तो रिसर्च कार्यों के लिए फंडिंग कम होने लगती है और लोग भी ढीले पड़ जाते हैं। 18 साल पहले सार्स महामारी के वक्त भी ऐसा ही हुआ था। आज हालात ज्यादा संगीन हैं। इसलिए भविष्य के लिए तैयारी अभी से करनी होगी।

Tags: Corona vaccineCorona vaccine updatescorona virus updates in hindi
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