आज मंगलवार का दिन रामभक्त और संकटमोचन हनुमान जी की आराधना के लिए समर्पित होता है। आज मंगलवार (Tuesday) को आप वीर हनुमान जी (Lord Hanuman) की पूजा विधि विधान से करें। उनको सिंदूर और चमेली के तेल का चोला तथा लाल लंगोट भी अर्पित करें।
आज के दिन आज हनुमान जी से रक्षा और संकटों से बचाने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। आप किसी संकट में हैं और उससे पार पाना चाहते हैं तो आज आपको पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करना चाहिए। इस पंचमुखी कवच का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी करते हैं।
वीर हनुमान जी भगवान राम के संकटमोचन हैं। उन्होंने लंका विजय के समय अपने प्रभु श्रीराम पर आने वाले हर संकट को दूर कर दिया था। माता सीता का पता लगाना हो, लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा करनी हो या नागपाश से श्रीराम और लक्ष्मण जी को मुक्त कराना हो, यह सब काम वीर हनुमान जी ने ही किया।
जब वे भगवान राम के संकटमोचन हैं, तो अपने भक्तों के सभी संकटों को तो वे पलभर में दूर कर देने की क्षमता रखते हैं। मंगलवार के दिन सच्चे मन से पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करने से सभी संकटों का नाश हो जाता है।
पंचमुखी हनुमत कवच
श्री गरुड उवाच ॥
अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर।
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम्।।
महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्|
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।
पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।
दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्।।
अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।
अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम्।।
पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।
सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।
उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्।
पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।।
ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्।।
जघान शरणं तत्स्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।
ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।
खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्।
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुम्।।
भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्।
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।
प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।।
सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद्विश्वतो मुखम्।
पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं।।
शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्।
पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं
पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।
मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर।।
ॐ हरिमर्कट मर्कट मन्त्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले|
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता।।
बजरंग बली की जय, वीर हनुमान की जय, संकटमोचन हनुमान जी की जय!!!