श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन के रोवर प्रज्ञान (Pragyan Rover) ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसरो (ISRO) ने सोशल मीडिया साइट एक्स (Social Media Site X) पर एक पोस्ट में कहा कि रोवर को सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया है और स्लीप मोड में डाल दिया गया है। इसरो ने कहा कि वर्तमान में, बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। सौर पैनल (Solar Panel) 22 सितंबर, 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख है। रिसीवर चालू रखा गया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एक और चरण के लिए जागने की उम्मीद है। अन्यथा, यह हमेशा भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा।
प्रज्ञान रोवर ने तय की 100 मीटर की दूरी
बीते दिन यानी शानिवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan) से सूर्य मिशन (Surya Mission) आदित्य एल 1 (Aditya L1) का सफल प्रक्षेपण पर सोमनाथ ने बधाई संदेश देते हुए कहा था कि “प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) और विक्रम लैंडर (Vikram Lander) अभी भी काम कर रहे हैं। हम अगले एक से दो दिनों में दोनों को स्लीप मोड (Sleep Mode) में रखने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें चंद्र रात को सहन करने की जरूरत है। उन्होंने आगे बताया कि रोवर ने लैंडर से लगभग 100 मीटर की दूरी तय की है। इसरो (ISRO) ने चंद्र अन्वेषण मिशन के हिस्से के रूप में प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) द्वारा अपनाए गए पथ की एक तस्वीर साझा की। यह कुल दूरी 101.4 मीटर है।
26 किलोग्राम, छह पहियों वाला, सौर ऊर्जा से संचालित रोवर प्रज्ञान अपने वैज्ञानिक उपकरणों के जरिए यह रिकॉर्ड करने के लिए सुसज्जित है कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र (Southern Polar Region) में चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानें किस चीज से बनी हैं, जहां चंद्रयान -3 का लैंडर विक्रम उतरा था। इसरो (ISRO) ने कहा कि एपीएक्सएस (APXS) और एलआईबीएस (LIBS) पेलोड को बंद कर दिया गया है और इन पेलोड से डेटा लैंडर विक्रम के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जाता है।
चंद्रमा पर होने वाली है रात, एक-दो दिन में विक्रम और प्रज्ञान को ISRO सुला देगा
बीते दिन एजेंसी ने कहा कि एपीएक्सएस उपकरण चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के यथास्थान विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त है। एपीएक्सएस अवलोकनों ने एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और लौह जैसे प्रमुख अपेक्षित तत्वों के अलावा, सल्फर समेत दिलचस्प छोटे तत्वों की उपस्थिति की खोज की है। हालांकि रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण ने पहले ही सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि कर दी है।