26 नवंबर को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि मनाई जाएगी, जिसे उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) कहते हैं। मान्यतानुसार इसी दिन से एकादशी की शुरुआत हुई। इस दिन पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की आराधना की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है। जानें, उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, भोग व उपाय-
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पर सुबह से लेकर शाम तक इस मुहूर्त में करें पूजा
चर – सामान्य 09:09 ए एम से 10:29 ए एम
लाभ – उन्नति 10:29 ए एम से 11:49 ए एम
अमृत – सर्वोत्तम 11:49 ए एम से 01:10 पी एम
शुभ – उत्तम 02:30 पी एम से 03:50 पी एम
लाभ – उन्नति 06:50 पी एम से 08:30 पी एमकाल रात्रि
शुभ – उत्तम 10:10 पी एम से 11:50 पी एम
अमृत – सर्वोत्तम 11:50 पी एम से 01:30 ए एम, नवम्बर 27
चर – सामान्य 01:30 ए एम से 03:09 ए एम, नवम्बर 27
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 26, 2024 को 01:01 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 27, 2024 को 03:47 ए एम बजे
27 नवम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 12:54 पी एम से 03:02 पी एम
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 10:26 ए एम
ब्रह्म मुहूर्त- 04:42 ए एम से 05:35 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:09 ए एम से 06:28 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:28 ए एम से 12:11 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:36 पी एम से 02:19 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:08 पी एम से 05:35 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:10 पी एम से 06:30 पी एम
अमृत काल- 09:47 पी एम से 11:36 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:23 पी एम से 12:16 ए एम, नवम्बर 27
द्विपुष्कर योग- 04:35 ए एम, नवम्बर 27 से 06:29 ए एम, नवम्बर 27
मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः, ॐ विष्णवे नमः
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पूजा-विधि
– स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
– भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
– प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
– अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
– मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
– संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
– उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
– पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
– प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
– अंत में क्षमा प्रार्थना करें
भोग: फल- केला, सूखे मेवे तथा पीले मिष्ठान के साथ खीर का भोग लगा सकते हैं।