यद्यपि सीताराम का विवाह, विवाह पंचमी (Vivah Panchami) , मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन हुआ था लेकिन वास्तविकता में जिस दिन भगवान श्रीराम ने शिव का धनुष तोड़ा था उसी दिन जनक की प्रतिज्ञा के अनुसार सीता राम की हो गईं थी। धर्मग्रंथों में वर्णन प्राप्त होता है कि भगवान राम द्वारा शिव का धनुष तोड़े जाने पर महामुनि विश्वामित्र ने महाराज जनक से कहा ‘यद्यपि सीता का विवाह धनुष टूटने के अधीन था और धनुष टूटते ही श्रीसीता राम का विवाह हो गया फिर भी महाराज दशरथ के पास संदेश देकर भेजा जाए और उन्हें बुलाकर विधिवत विवाह संपन्न कराया जाए’ जो कि विवाह पंचमी के दिन संपन्न हुआ था।
श्री सीताराम का विवाह जिस दिन हुआ था उस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र था। कहा जाता है, त्रेता युग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम दूल्हे के रूप में और सीताजी दुल्हन के रूप में विवाह बंधन में बंध रहे थे तो ब्रह्माजी अपने चार सिर यानी आठ नेत्रों से, कार्तिकेयजी 12 नेत्रों से और देवराज इंद्र अपने सहस्त्र नेत्रों से इस दिव्य संयोग को देख रहे थे।
इस वर्ष विवाह पंचमी व्रत और पूजन दिनांक 6 दिसंबर दिन शुक्रवार को है, मार्गशाीर्ष मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 6 तारीख को दिन में 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगी, इसलिए विधि-विधान से शुक्रवार 6 दिसंबर को मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम और मां सीता का विवाह संपन्न किया जाएगा।
विवाह पंचमी (Vivah Panchami) के दिन इन उपायों को जरूर करें
प्रभु राम और माता सीता, दोनों के आशीर्वाद से जीवन की बाधा और परेशानी दूर होने लगती है तथा जीवन में खुशहाली आने लगती है। विवाह पंचमी पूजन कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित वर, स्त्रियों को अखंड सौभाग्य और जनमानस की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। इस दिन जानकी मंगल का पाठ अत्यंत फलदाई माना गया है।
इस दिन भगवान राम और सीता जी की मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित कर उनका पूजन अवश्य करें। साथ ही लाल कलम से कम से कम 108 बार राम का नाम किसी कॉपी पर लिखें अथवा अनार की कलम से अष्टगंध की स्याही बनाकर भोजपत्र पर अंकित करें, जिससे अनिष्ट ग्रहों की पीड़ा भी सरलता से दूर हो सके।
राम नाम लिखने से शनि, राहु, केतु पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है। देश के विभिन्न भागों में राम भक्त इस महोत्सव को अपनी-अपनी परम्परा के साथ आनन्द, उल्लासपूर्वक मनाते हैं।