• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से सम्बद्ध है प्रयागराज का यह प्रसिद्ध मंदिर

Writer D by Writer D
11/12/2024
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, धर्म, प्रयागराज
0
Nagvasuki Temple

Nagvasuki Temple

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

महाकुम्भ नगर। तीर्थराज प्रयागराज के पौराणिक मंदिरों में नागवासुकी मंदिर (Nagvasuki Temple) का विशेष स्थान है। सनातन आस्था में नागों या सर्प की पूजा प्राचीन काल की जाती रही है। पुराणों में कई नागों की कथाओं का वर्णन है जिनमें से नागवासुकी को सर्पराज माना जाता है। नागवासुकी भगवान शिव के कण्ठहार हैं, समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार नागवासुकी सागर को मथने के लिए रस्सी के रूप में प्रयुक्त हुए थे। समुद्र मंथन के बाद भगवान विष्णु के कहने पर नागवासुकि ने प्रयाग में विश्राम किया। देवताओं के आग्रह पर वो यहां ही स्थापित हो गये। मान्यता है कि प्रयागराज में संगम स्नान के बाद नागवासुकि का दर्शन करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। नागवासुकि जी का मंदिर वर्तमान काल में प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में गंगा नदी के तट पर स्थित है।

समुद्र मंथन के बाद सर्पराज नाग वासुकि ((Nagvasuki) ) ने प्रयाग में किया था विश्राम

नागवासुकि जी (Nagvasuki) कथा का वर्णन स्कंद पुराण, पद्म पुराण,भागवत पुराण और महाभारत में भी मिलता है। समुद्र मंथन की कथा में वर्णन आता है कि जब देव और असुर, भगवान विष्णु के कहने पर सागर को मथने के लिए तैयार हुए तो मंदराचल पर्वत मथानी और नागवासुकि को रस्सी बनाया गया था। लेकिन मंदराचल पर्वत की रगड़ से नागवासुकि जी का शरीर छिल गया था। तब भगवान विष्णु के ही कहने पर उन्होंने प्रयाग में विश्राम किया और त्रिवेणी संगम में स्नान कर घावों से मुक्ति प्राप्त की। वाराणसी के राजा दिवोदास ने तपस्या कर उनसे भगवान शिव की नगरी काशी चलने का वरदान मांगा। दिवोदास की तपस्या से प्रसन्न होकर जब नागवासुकि प्रयाग से जाने लगे तो देवताओं ने उनसे प्रयाग में ही रहने का आग्रह किया। तब नागवासुकि ने कहा कि, यदि मैं प्रयागराज में रुकूंगा तो संगम स्नान के बाद श्रद्धालुओं के लिए मेरा दर्शन करना अनिवार्य होगा और सावन मास की पंचमी के दिन तीनों लोकों में मेरी पूजा होनी चाहिए। देवताओं ने उनकी इन मांगों को स्वीकार कर लिया। तब ब्रह्माजी के मानस पुत्र द्वारा मंदिर बना कर नागवासुकि को प्रयागराज के उत्तर पश्चिम में संगम तट पर स्थापित किया गया।

नागवासुकि मंदिर (Nagvasuki Temple) में स्थित था भोगवती तीर्थ

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब देव नदी गंगा जी का धरती पर अवतरण हुआ तो भगवान शिव की जटा से उतर कर भी मां गंगा का वेग अत्यंत तीव्र था और वो सीधे पाताल में प्रवेश कर रहीं थी। तब नागवासुकि ने ही अपने फन से भोगवती तीर्थ का निर्माण किया था। नागवासुकि मंदिर के पुजारी श्याम लाल त्रिपाठी ने बताया कि प्राचीन काल में मंदिर के पश्चिमी भाग में भोगवती तीर्थ कुंड था जो वर्तमान में कालकवलित हो गया है। मान्यता है बाढ़ के समय जब मां गंगा मंदिर की सीढ़ियों को स्पर्श करती उस समय इस घाट पर गंगा स्नान से भोगवती तीर्थ के स्नान का पुण्य मिलता है।

मान्यता है कि नागपंचमी पर सर्पों के पूजन पर्व यहीं से शुरू हुआ

मंदिर के पुजारी ने बताया कि नागपंचमी पर्व की शुरुआत भगवान नागवासुकि जी (Nagvasuki) की शर्तों के कारण ही हुई। नाग पंचमी के दिन मंदिर में प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। मान्यता है इस दिन भगवान वासुकि का दर्शन कर चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करने मात्र से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक मास की पंचमी तिथि को नागवासुकि के विशेष पूजन का विधान है। इस मंदिर में कालसर्प दोष और रूद्राभिषेक करने से जातक के जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

सीएम योगी के प्रयासों से महाकुम्भ में हो रहा है मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण

पौराणिक वर्णन के अनुसार प्रयागराज के द्वादश माधवों में से असि माधव का स्थान भी मंदिर में ही था। सीएम योगी आदित्यनाथ जी के प्रयास से इस वर्ष देवोत्थान एकादशी के दिन असि माधव जी के नये मंदिर में उन्हें पुनः प्रतिष्ठित किया गया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले सांसद मुरली मनोहर जोशी ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस महाकुम्भ में नागवासुकि मंदिर और उनके प्रांगण का जीर्णोंद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य हुआ है। यूपी सरकार और पर्यटन विभाग के प्रयासों से मंदिर की महत्ता से नई पीढ़ी को भी परिचित कराया जा रहा है। संगम स्नान, कल्पवास और कुम्भ स्नान के बाद नागवासुकि के दर्शन के बाद ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधांए दूर होती हैं।

Tags: maha kumbhMaha Kumbh 2025maha kumbh callingMahakumbh 2025Nagvasuki TemplePrayagraj News
Previous Post

गरीबों की जमीन कब्जामुक्त कराएं, दबंगों को सबक सिखाएं : मुख्यमंत्री

Next Post

3 महीने की हो गई रणवीर दीपिका की ‘दुआ’, देखें तस्वीर

Writer D

Writer D

Related Posts

Bioplastics
उत्तर प्रदेश

यूपी में गाय के गोबर से बनेगा कपड़ा और बायोप्लास्टिक

01/08/2025
सिद्धार्थनगर

राष्ट्रिय वैश्य महासंघ रुपन्देहीद्वारा भीम अस्पताल मे फल वितरण

01/08/2025
DM Savin Bansal
Main Slider

पिता का आकस्मिक निधन; पढाई पर संकट; जिला प्रशासन ने थामा रिहान का हाथ

01/08/2025
cm yogi
Main Slider

यूपी को फुटवियर-लेदर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाएगी नई नीति : मुख्यमंत्री

01/08/2025
उत्तर प्रदेश

सांसद के खिलाफ लोगों ने अध्यक्ष अनुशासन समिति को प्रेषित ज्ञापन डीएम को सौंपा

31/07/2025
Next Post
Dua

3 महीने की हो गई रणवीर दीपिका की 'दुआ', देखें तस्वीर

यह भी पढ़ें

कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों को पढ़ाएगी योगी सरकार : स्वाति सिंह

15/06/2021
Ram Gopal Yadav

राम गोपाल यादव के बंगले में घुसा बारिश का पानी, स्टाफ ने ऐसे बैठाया कार में

28/06/2024

त्योहार में नहीं मिल रहा है ट्रेन का टिकट, इस तरीके से सीट कंफर्म होने का चांस

01/11/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version