यूपी एसटीएफ ने विश्व स्तरीय ठगी के व्यापक संजाल का पर्दाफाश किया है। लंदन बेस्ड दो कंपनियों ईग्नाइटर 100 व सोलमैक्स गु्रप वेबसाइड के जरिये भारत से डायरेक्ट सेलिंग के नाम से पोंजी स्कीम संचालित कर रही थी।
यह अंतर्राष्ट्रीय कंपनी भारत में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन इसने देश और दुनिया भर में ठगी का व्यापक तंत्र स्थापित कर लिया। अपनी स्कीम के जरिये इन कंपनियों ने अरबों रुपये की ठगी की है। इन दोनों कंपनियों रीजनल डायरेक्टर को लखनऊ से गिरफ्तार कर इस ठगी के बड़े संजाल का पर्दाफाश किया है। ठगी के इस कारोबार को अपने देश में संचालित करने वाले दोनों रीजनल डायरेक्टर लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में डेरा जमाए हुए थे। जौनपुर का अनिरूद्ध नारायण गोमतीनगर के सरस्वती अपार्टमेंट में रह रहा था और मऊ के दोहरी घाट का रहने वाला दीपक राय गोमती नगर विस्तार में छिपा बैठा था।
एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश की माने तो इन दोनों कंपनियों का जाल यूके से लेकर दुनिया के अनेक देशों में फैला हुआ है। अभी ठगी के इस तंत्र के दो मोहरे पकड़े गये हैं, लेकिन असली सूत्रधार विदेश में छिपा बैठा है। उन पर शिकंजा कसने के लिए रेड कार्नर नोटिस जारी कराने की तैयारी है। यह गिरफ्तारी यूपी एसटीएफ की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
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अमिताभ यश ने बताया कि काफी समय से सूचनायें प्राप्त हो रही थी कि एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कम्पनी यूके की कम्पनी ईग्नाइटर 100 व सोलमैक्स ग्रुप वेबसाइट के माध्यम से भारत में संचालित है। इन कंपनियों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक टीम लगायी गयी थी। जांच में पता चला कि पाकिस्तान का रहने वाला अब्दुल रहमान सन्धु और ब्रिटेन का फ्लोरियन करूगर इस कम्पनी को संचालित कर रहे हैं। इन लोगों ने इन कंपनियों को यूके में रजिस्टर्ड कराया है।
जांच में ये भी जानकारी मिली कि विश्व के कई देशों के साथ-साथ भारत मे पिछले अप्रैल से राकेश सैनी जो कि होशियारपुर पंजाब का रहने वाला है, दुबई में रहकर जूम-एप के माध्यम से इस कम्पनी में मनी सरकुलेशन स्कीम को चलानी शुरू की और कुछ ही समय में लगभग 50 हजार लोगों का अपनी कम्पनी में रजिट्रेशन कराकर पौंजी स्कीम के नाम पर लगभग 12 करोड़ से अधिक की धनराशि प्राप्त कर विदेशी खातों मे जमा करा दी।
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वहीं, पूरे विश्व में इस कम्पनी के द्वारा लगभग 10 लाख से अधिक लोगों से 03 अरब रुपए से अधिक धनराशि की ठगी की गयी है। इनके द्वारा यह पैसा विदेश में यह कहकर भेजा जाता है कि हमारे द्वारा एजुकेशनल पैकेज ऑनलाइन सेल किये गये हैं ताकि इतनी बड़ी धनराशि आसानी से विदेशी खातों मे ट्रांसफर की जा सके। जबकि न तो यह कम्पनी भारत में कही रजिस्टर्ड है और न ही इसका भारत मे कोई कार्यालय है। लोगों से प्राप्त धनराशि की किसी भी प्रकार की कोई रसीद नहीं दी गयी। कम्पनी के लुभावने वादों के तौर पर 25 पौण्ड से लेकर 05 हजार पौण्ड तक की 08 कैटेगरी में से किसी 01 कैटेगरी में पैसा जमा कराते है और बदले में कम्पनी के शेयर देते थे और कुछ समय में शेयर की कीमत आसमान छूने का झांसा देते थे।
जबकि यह कम्पनी अभी तक किसी शेयर मार्केट में लिस्टेड हीं नही है और न ही यह दिये गये शेयरो के सम्बन्ध कोई डाक्यूमेन्ट या प्रमाण पत्र निर्गत करते हैं। इस पूरे मामले में एसटीएफ ने छानबीन की तो ये भी जानकारी मिली कि इस कंपनी के विरूद्ध एक केस राजधानी के गाजीपुर थाने में दर्ज कराया गया था। इसके बाद दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी और उसके बाद बयानों के आधार पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया।