चेन्नई| तमिलनाडु विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से उस विधेयक को पारित कर दिया जिसमें राज्य सरकार के सरकारी स्कूलों से पढ़े और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पास करने वाले विद्यार्थियों को चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश के दौरान प्राथमिकता के आधार पर 7.5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का प्रावधान है।
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पूर्व सैनिकों, विकलांग व्यक्ति, खिलाड़ियों, अल्पसंख्यकों आदि के लिये आरक्षण को क्षैतिज आरक्षण कहा जा सकता है। क्षैतिज आरक्षण लंबवत आरक्षण में कटौती – जिसे इंटरलॉकिंग आरक्षण भी कहा जाता है। क्षैतिज आरक्षण के अंतर्गत आने वाली श्रेणियों को आवंटित आरक्षण का प्रतिशत एससी / एसटी / ओबीसी के प्रतिशत और लंबवत आरक्षण में सामान्य श्रेणियों से समायोजित किया जाता है।
राज्य सरकार के इस कदम से हर साल करीब 300 गरीब विद्यार्थियों को लाभ होगा और इस प्रावधान को इसी साल से लागू किया जाएगा। विधेयक को पेश करते हुए मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पी कलियारासन नीत आयोग की सिफारिश के आधार पर क्षैतिज आरक्षण देने का नीतिगत फैसला लिया है।
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पलानीस्वामी ने कहा, ‘मंत्रिमंडल ने 15 जून और 14 जुलाई को हुई बैठक में इसे मंजूरी दी और उसी के अनुरूप विधेयक लाया गया है।’उन्होंने कहा कि इस कदम से ग्रामीण और गरीब विद्यार्थियों के डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी।
विधेयक का लाभ उन छात्रों को मिलेगा जिन्होंने छठी से उच्चतर माध्यमिक स्तर की पढ़ाई सरकारी स्कूलों या स्थानीय निकायों द्वारा संचालित स्कूलों से की है और नीट उत्तीर्ण किया है।