नई दिल्ली। क्रिकेट आज दुनियाभर के कुछ सबसे पसंदीदा खेलों में से एक है। भारत में तो क्रिकेट धर्म की माना जाता है। क्रिकेट के तीनों स्वरूपों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला वन-डे क्रिकेट की शुरुआत के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
टेस्ट के बीच वनडे कैसे शुरू हुआ?
यह 1970 का साल और नवंबर का महीना था जब एशेज सीरीज के लिए इंग्लैंड की क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी। उन दिनों एक एशेज सीरीज में 6 टेस्ट मैच खेले जाते थे। पहला टेस्ट ब्रिस्बेन में खेला गया, जो ड्रॉ पर खत्म हुआ। दूसरा टेस्ट मैच पर्थ में खेला गया और यह भी ड्रॉ पर खत्म हुआ। अब बारी थी मेलबर्न में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच की। 29 दिसंबर 1970 से यह टेस्ट मैच शुरू होना था लेकिन भारी बारिश के कारण पहले तीन दिनों का खेल धुल गया। इसके बाद अंपायरों और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने इस टेस्ट को रद्द करने का फैसला किया।
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लेकिन उन दिनों क्रिकेट मैचों का इंश्योरेंस कराने का चलन नहीं था। इसके बाद दोनों देशों के अधिकारियों ने तय किया कि मेलबर्न के स्थानीय लोगों के मनोरंजन और दोनों टीमों के खिलाड़ियों के आर्थिक मुनाफे को ध्यान में रखकर दोनों टीमों के बीच 40-40 ओवरों (8 गेंदों का 1 ओवर) का एक वनडे मैच आयोजित किया जाए। इस टेस्ट मैच के धुलने से आयोजकों को लगभग 80 हजार पाउंड का घाटा उठाना पड़ रहा था। मेलबर्न टेस्ट के लिए दर्शकों को जो टिकट बेचे गए थे, उन्हें वापस करना पड़ता। लिहाजा दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड ने मिलकर फैसला लिया कि सीरीज के अंत में एक सातवां टेस्ट मैच भी करा दिया जाए। लेकिन इस मैच के लिए स्पॉन्सर (प्रायोजक) ढूंढना भी मुश्किल काम था।
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बड़ी मुश्किल से तंबाकू उत्पाद बनाने वाली रॉथमैंस कंपनी इस मैच को स्पॉन्सर करने को तैयार हुई। वह भी महज 5 हजार पाउंड में। जिसमें 90 पाउंड मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने वाले के लिए रखे गए थे। कंपनी ने इस मैच के लिए 20 हजार टिकट बेचने का लक्ष्य रखा ताकि पैसा निकल सके। लेकिन इंग्लिश खिलाड़ी इस अतिरिक्त टेस्ट मैच के लिए अतिरिक्त पैसे की मांग पर उतर आए। दरअसल वो जमाना प्रायोजक, कॉन्ट्रैक्ट और क्रिकेट में पैसों की बरसात का नहीं था। उन दिनों क्रिकेटरों को मैच के दिन के हिसाब से दिहाड़ी मिला करती थी।