• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

कैसे बने माँ के 51 शक्ति पीठ, जानिए इसकी पौराणिक कथा और महत्व

Writer D by Writer D
09/10/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
0
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

देवी के 51 शक्ति पीठ का हिन्दू धर्म में बेहद महत्त्व है. इनके बारे में आप सब ने सुना होगा. लेकिन इन सभी शक्ति पीठ बनने के पीछे की वजह क्या है और ये कहां-कहां स्थित हैं ? इस बारे में अभी भी बहुत लोगों को जानकारी नहीं है. इसीलिए पौराणिक कथा के अनुसार आज हम आपको देवी के शक्ति पीठों के बनने की वजह के बारे में बताते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं कि ये शक्ति पीठ किन-किन स्थानों पर स्थित हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में.

शक्ति पीठ बनने की पौराणिक कथा

देवी के 51 शक्ति पीठ बनने के पीछे की जो पौराणिक कथा है उसके अनुसार भगवान शिव की पहली पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल जिसको वर्तमान में हरिद्वार के नाम से जाना जाता है में ‘बृहस्पति सर्व’ नाम का एक महा यज्ञ किया था. उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था.

लेकिन इसके बावजूद भगवान शिव की पत्नी जो कि दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं वह बिना आमंत्रित किये और अपने पति के रोकने के बावजूद उस यज्ञ में शामिल हो गयीं. उस समय यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता से भगवान शिव को आमंत्रित न करने की वजह पूछी और अपनी नाराज़गी प्रकट की. इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को अपशब्द कहे. जिसके अपमान से पीड़ित होकर सती ने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी.

भगवान शिव को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध की वजह से उनका तीसरा नेत्र खुल गया और वे क्रोध की वजह से तांडव करने लगे. इसके पश्चात भगवन शिव ने यज्ञ-स्थल पर पहुंच कर यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाला और कंधे पर उठा लिया और दुखी मन से वापस कैलाश पर्वत की ओर  जाने लगे. इस दौरान देवी सती के शरीर के अंग जिन जगहों पर गिरे वह स्थान शक्ति पीठ कहलाये. जो कि वर्तमान समय में भी उन जगहों पर स्थित हैं और आज भी पूजे जाते हैं.

>> इन जगहों पर स्थित हैं देवी के 51 शक्ति पीठकिरीटकोण ग्राम, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल में देवी सती का मुकुट गिरा और वे विमला कहलाईं.

इस नवरात्रि घर ले आए ये पौधे, दूर हो जाएगी पैसों की दिक्कत

>> मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में देवी सती की मणिकर्णिका गिरी और वे विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं.

>> कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु में देवी की पीठ गिरी और वे श्रवणी कहलाईं.

>> मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलाधव नाम के स्‍थान पर शोन नदी के किनारे एक गुफा में देवी सती का बायां नितंब गिरा और यहां मां काली स्‍थापित हैं.

>> शोन्देश, अमरकंटक, मध्य प्रदेश में उनका दायां नितंब गिरा और नर्मदा नदी का उद्गम होने के कारण देवी नर्मदा कहलाईं.

>> नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत पर स्थित है. यहां देवी सती की आंख गिरी थी यहां देवी महिष मर्दिनी कहलाती हैं.

>> देवी सती की नासिका गिरी थी सुगंध बांग्लादेश में शिकारपुर बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे. यहां देवी सुनंदा कहलाती हैं.

>> अमरनाथ, पहलगांव, काश्मीर के पास देवी का गला गिरा था और वे यहां महामाया के रूप में स्‍थापित हैं.

>> ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में हैं जहां देवी की जीभ गिरी थी उनका नाम पड़ा सिधिदा या अंबिका.

>> जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब में उनका बांया वक्ष गिरा और वे यहां त्रिपुरमालिनी नाम से स्‍थापित हुईं.

>> अम्बाजी मंदिर, गुजरात में देवी का हृदय गिरा था और वे यहां अम्बाजी कहलाईं.

>> रामगिरि, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में दायां वक्ष गिरायहां देवी शिवानी के नाम से पूजी गयीं.

>> वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास उत्तर प्रदेश में देवी सती के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरी और यहां देवी उमा नाम से प्रसिद्ध हुईं.

>> शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर के पास कन्याकुमारी, तमिल नाडु में ऊपरी दाढ़ गिरी और उनका नाम पड़ा देवी नारायणी.

>> पंचसागर में देवी सती की निचली दाढ़ गिरी और यहां देवी वाराही के नाम से जानी गयीं.

>> बांग्लादेश के करतोयतत, भवानीपुर गांव में देवी के बायें पैर की पायल गिरी और वे यहां अर्पण नाम से प्रसिद्ध हुईं.

>> श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश में देवी सती के दायें पैर की पायल गिरी और यहां देवी स्‍थापित हुईं देवी श्री सुंदरी के नाम से.

>> पश्चिम बंगाल के विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला में देवी कपालिनी का मंदिर है यहां देवी सती की बायीं एड़ी गिरी थी.

>> प्रभास, जूनागढ़ जिला, गुजरात में देवी सती का आमाशय गिरा था और यहां वे चंद्रभागा के नाम से पूजी जाती हैं.

>> भैरव पर्वत पर क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जयिनी, मध्य प्रदेश में देवी के ऊपरी होंठ गिरे थे यहां वे अवंति नाम से जानी जाती हैं.

>> जनस्थान, नासिक, महाराष्ट्र में देवी की ठोड़ी गिरी और देवी भ्रामरी रूप में स्‍थापित हुईं.

>> सर्वशैल राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश में उनके गाल गिरे और देवी को नाम मिला राकिनी और विश्वेश्वरी.

>> बिरात, राजस्थान में उनके बायें पैर की उंगली गिरी थी और यहां देवी अंबिका  कहलाईं.

>> रत्नावली, हुगली, पश्चिम बंगाल में देवी सती का दायां कंधा गिरा और उनका नाम पड़ा देवी कुमारी.

>> मिथिला, भारत-नेपाल सीमा पर देवी सती का बायां कंधा गिरा और देवी उम कहलाईं.

>> नलहाटी, बीरभूम, पश्चिम बंगाल में देवी के पैर की हड्डी गिरी और देवी का नाम पड़ा कलिका देवी.

>> कर्नाट में देवी सती के दोनों कान गिरे और यहां देवी जय दुर्गा के नाम से जानी गयीं.

>> वक्रेश्वर पश्चिम बंगाल में देवी का भ्रूमध्य गिरा और वे कहलाईं महिषमर्दिनी.

>> यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश में देवी सती के हाथ एवं पैर गिरे और देवी कहलाईं यशोरेश्वरी.

>> अट्टहास, पश्चिम बंगाल में देवी सती के होंठ गिरे और यहां उनका नाम पड़ा फुल्‍लारा देवी.

>> नंदीपुर, पश्चिम बंगाल में देवी का हार गिरा और यहां देवी कहलाईं मां नंदनी.

>> लंका में अज्ञात स्‍थान पर देवी की पायल गिरी यहां वे इंद्रक्षी कहलाती हैं. कहा जाता है कि ये मंदिर ट्रिंकोमाली में है लेकिन पुर्तगाली बमबारी में ये ध्वस्त हो चुका है. इसका केवल एक स्तंभ ही यहां शेष है.

>> गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, में पशुपतिनाथ मंदिर के साथ ही है. जहां देवी के दोनों घुटने गिरे थे. यहां देवी का नाम महाशिरा है.

>> मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, में तिब्बत के पास देवी सती का दायां हाथ गिरा था और यहां वे दाक्षायनी कहलाईं. इस मंदिर में देवी एक शिला के रूप में स्थापित हैं.

>> बिराज, उत्कल, उड़ीसा में देवी की नाभि गिरी और वे विमला के नाम से जानी गयीं.

>> गंडकी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर में देवी का मस्तक गिरा और वे यहां गंडकी चंडी कहलाईं.

>> बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, में पश्चिम बंगाल से 8 किमी दूर बहुला देवी स्थापित हैं. बताया जाता है यहां देवी का बायां हाथ गिरा था.

>> उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में देवी सती की दायीं कलाई गिरी और वे यहां मंगल चंद्रिका के नाम से जानी गयीं.

>> माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाव, उदरपुर, त्रिपुरा में देवी का दायां पैर गिरा और देवी त्रिपुर सुंदरी कहलाईं.

>> छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश में देवी सती की दांयी भुजा गिरी और उनको जाना गया देवी भवानी के नाम से.

>> त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गांव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल में देवी का बायां पैर गिरा और वे भ्रामरी देवी कहलाईं.

कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम में उनकी योनि गिरी और वे देवी कामाख्या रूप में प्रसिद्ध हुईं.

>> जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में उनका दायें पैर का अंगूठा गिरा और उनको यहां जाना गया देवी जुगाड्या के नाम से.

कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता में देवी के दायें पैर का अंगूठा गिरा और वे यहां मां कालिका के नाम से जानी गयीं.

>> प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में देवी सती के हाथ की अंगुली गिरी और वे यहां मां ललिता के नाम से जानी गयीं.

>> कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश में देवी की बायीं जंघा गिरी और यहां देवी जयंती नाम से स्‍थापित हुईं.

>> कुरुक्षेत्र, हरियाणा में देवी के पैर की एड़ी गिरी और यहां माता सावित्री का मंदिर स्‍थापित हुआ.

>> मणिबंध, गायत्री पर्वत, पुष्कर, अजमेर में देवी की दो पहुंचियां गिरी थीं और यहां देवी का नाम पड़ा गायत्री.

>> श्री शैल, जैनपुर गांव, के पास सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश में देवी का गला गिरा और यहां उनका नाम महालक्ष्मी है.

>> कांची, कोपई नदी तट पर पश्चिम बंगाल में देवी की अस्थि गिरी और वे यहां देवगर्भ रूप में स्‍थापित हैं

Tags: navratrinavratri 2021navratri ka mahatavNavratri Newsnavratri puja vidhi
Previous Post

नवाब मलिक ने NCB की कार्रवाई पर उठाए सवाल

Next Post

यूनिवर्सिटी में MBBS छात्र की गोली मारकर हत्या, परिसर में फ़ैली सनसनी

Writer D

Writer D

Related Posts

Anand Bardhan
Main Slider

मुख्य सचिव ने बाबा केदारनाथ के दर्शन कर लिया आशीर्वाद, वर्ष 2026 की यात्रा तैयारियों के दिए निर्देश

22/10/2025
Gangotri Temple
धर्म

वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट

22/10/2025
The wedding dress of the daughter of Khamenei's close associate caused a commotion
Main Slider

खामेनेई के करीबी की बेटी की शादी वायरल, वेडिंग ड्रेस पर मचा हंगामा

22/10/2025
CM Dhami worshiped the cow on the occasion of Govardhan Puja.
Main Slider

गोवर्धन पूजा प्रकृति संरक्षण, मनुष्यों एवं जानवरों के बीच के प्रेम को दर्शाता: सीएम धामी

22/10/2025
CM Yogi listened to the problems of 300 people in Janta Darshan.
Main Slider

जन समस्याओं के प्रति बनें संवेदनशील, कराएं त्वरित समाधान: मुख्यमंत्री

22/10/2025
Next Post
Murder

यूनिवर्सिटी में MBBS छात्र की गोली मारकर हत्या, परिसर में फ़ैली सनसनी

यह भी पढ़ें

Sonam confessed to the crime of murdering Raja Raghuvanshi

‘हां, मैंने ही मर्डर करवाया…’, सबूत देख टूट गई सोनम, रोते-रोते SIT की पूछताछ में कुबूला

11/06/2025

अस्पतालों में अलर्ट जारी, सीएम ने कोविड नियमों के सख्ती से अनुपालन के दिए निर्देश

22/04/2022
most spoken language

हिन्दी का दबदबा और बढ़ा, दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बनी

12/12/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version