नई दिल्ली| एक दशक पहले रियल एस्टेट में कीमतें आसमान छू रहीं थीं। हर रोज नई परियोजनाएं पेश की जा रहीं थीं। मोटे रिटर्न के लिए निवेशक भी जमकर इसमें पैसा लगा रहे थे। लेकिन पिछले 10 साल में स्थिति एकदम उलट हो गई है। इस अवधि में 11 फीसदी के करीब रिटर्न मिला है। जबकि पिछले पांच साल में इसमें 5.5 फीसदी का औसत रिटर्न मिला है। वहीं दिल्ली-कोलकाता समेत कुछ बड़े शहरों में रिटर्न 1.5 फीसदी के करीब रहा है। ऐसे में अब रियल एस्टेट में निवेश घाटे का सौदा बन गया है।
मौजूदा समय में खुदरा महंगाई छह फीसदी से ऊपर है। जबकि पिछले पांच साल में रियल एस्टेट में रिटर्न 5.5 फीसदी है। ऐसे में देखा जाए तो रिएल एस्टेट में महंगाई की तुलना में करीब आधा फीसदी का नुकसान है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी विकल्प में निवेश के पहले यह जरूर देखना चाहिए कि महंगाई की तुलना में उसमें कितना रिटर्न मिला है। यदि महंगाई के बराबर रिटर्न है यानी आपको कोई फायदा नहीं हो रहा। जबकि उससे कम रिटर्न का मतलब हुआ कि उस निवेश पर आपकी जेब से पैसा खर्च हो रहा है।
SBI डिजिटल प्लेटफार्म योनो को अलग इकाई बनाने पर हो रहा विचार
जून 2010 से जून 2020 की अवधि में देश के शीर्ष 10 शहरों में औसत रिटर्न 11.6 फीसदी मिला है। इस अवधि में लखनऊ में 16.1 फीसदी का रिटर्न मिला है। इसके बाद कोलकाता में 13.3 फीसदी और दिल्ली में 12.2 फीसदी का रिटर्न मिला है। वहीं मुंबई में 11.2 फीसदी का रिटर्न मिला है। इस सूची में जयपुर सबसे निचले पायदान है जहां रियल एस्टेट में इस अवधि में महज 6.1 फीसदी का रिटर्न मिला है।
वर्ष 2015 से 2020 के बीच दिल्ली में रियल एस्टेट में जिन लोगों ने पैसा लगाया है उन्हें झटका लगा है। इस अवधि में 10 शहरों में औसत रिटर्न 5.5 फीसदी रहा है। जबकि इस अवधि में दिल्ली के रियल एस्टेट ने महज 1.5 फीसदी रिटर्न दिया है। अगर महंगाई से इसकी तुलना करें तो निवेशकों को करीब 4.5 फीसदी का नुकसान हुआ है। वहीं कोलकाता में निवेशकों को महज 3.2 फीसदी का रिटर्न मिला है।