भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) प्रस्तावित है। दोनों देशों के बीच होने वाले इस एग्रीमेंट ने घरेलू व्हिस्की उत्पादकों (Domestic Whiskey Producers) की चिंताएं बढ़ा दी हैं। क्योंकि भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की वजह से जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल (Johnnie Walker) और सिवास रीगल जैसे लोकप्रिय ब्रॉन्ड्स के शिपमेंट में बढ़ोतरी हो सकती है। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट अब अपने अंतिम रूप के करीब है। इसमें बोतलबंद स्कॉच के लिए न्यूनतम आयात प्राइस (MIP) शामिल होने की उम्मीद है। इसके बोतलबंद और कास्क व्हिस्की दोनों के लिए आयात शुल्क कम हो सकता है।
कितना कम हो सकता इंपोर्ट प्राइस?
TOI के अनुसार, प्रस्तावित FTA के तहत, MIP सीमा से ऊपर बोतलबंद स्कॉच पर आयात शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत किया जा सकता है। जबकि कास्क पर 75 फीसदी पर आधा शुल्क लगाया जा सकता है। हालांकि, डिटेल्स पर अभी बातचीत चल रही है। चर्चा 10 वर्षों की अवधि में बोतलबंद स्कॉच पर ग्राहक शुल्क को धीरे-धीरे कम करके 50 फीसदी के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
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ऑस्ट्रेलिया के अनुभव के आधार पर, जहां अंतरिम एफटीए के तहत वाइन पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी में कटौती हुई है। घरेलू उद्योग प्रत्येक 750 मिलीलीटर की बोतल पर 5 फीसदी की MIP पर जोर दे रहा है। हालांकि, ऐसे भी सुझाव सामने आए हैं कि भारत प्रति बोतल 4 डॉलर के MIP पर सहमत हो सकता है। ये एक ऐसा कदम होगा, जिससे भारत में ब्रिटेन से स्कॉच के आयात में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। घरेलू उद्योग के उत्पादकों को डर है कि विदेशी ब्रॉन्ड के बढ़ने की वजह से कई घरेलू ब्रॉन्ड और भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) प्रोडक्ट खत्म हो सकते हैं।
इंपोर्टेड व्हिस्की की हिस्सेदारी
इंपोर्टेड प्रोडक्ट्स मौजूदा समय में कुल भारतीय व्हिस्की बाजार का एक छोटा हिस्सा है। मार्केट में इसकी हिस्सेदारी करीब 3।3 फीसदी है। हालांकि, मिडिल और प्रीमियम सेगमेंट में, जिसे 750 रुपये प्रति बोतल से अधिक कीमत वाली व्हिस्की के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें स्कॉच की हिस्सेदारी लगभग 32 प्रतिशत है और लगातार बढ़ रही है। शराब के मार्केट पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी IWSR के डेटा से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों में स्कॉच की मार्केट हिस्सेदारी में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दोगुना हुआ आयात
साल 2022-23 के दौरान, बोतलबंद व्हिस्की का आयात 152 मिलियन डॉलर से दोगुना से अधिक होकर 316 मिलियन डॉलर हो गया। इस बीच, इसी अवधि के दौरान थोक व्हिस्की शिपमेंट का मूल्य 40 प्रतिशत से अधिक बढ़कर लगभग 149 मिलियन डॉलर हो गया। यह भी देखने को मिलेगा सभी स्कॉच का आयात यूके से हो रहा है। हालांकि कुछ शिपमेंट को सिंगापुर और यूएई से आने के रूप में लिस्टेड किया गया है। क्योंकि वे ग्लोबल ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में काम करते हैं।