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बोलते वक्त हमेशा मनुष्य को वाणी पर रखना चाहिए कंट्रोल

Writer D by Writer D
19/06/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, फैशन/शैली
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लाइफ़स्टाइल डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार शब्दों पर आधारित है।

‘शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए, आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं।’ आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि मनुष्य के शब्दों में हमेशा जिम्मेदारी झलकनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शब्द ही ऐसे हैं जो ये दर्शाते हैं कि आप कितने जिम्मेदार हैं। शब्दों की गरिमा हमेशा बनाकर रखनी चाहिए। जब तक शब्द की गरिमा बनी रहेगी तभी सामने वाला ये समझ पाएगा कि आप कितने जिम्मेदार हैं।

अक्सर ऐसा होता है कि लोग किसी से बात करते वक्त ये ध्यान नहीं देते कि वो क्या कह रहे हैं। कई बार लोग दूसरों से बात करते वक्त ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिससे ये पता चलता है कि वो किस तरह की प्रवृत्ति के है्ं। उदाहरण के तौर पर अगर आप परिवार की बात करें तो परिवार में कई लोग एक साथ रहते हैं। कई बार घर के बड़ों की बातों में उस जिम्मेदारी का एहसास नहीं होता जो घर के छोटों की बातों में होता है। यहां तक कि कई बार आपने लोगों के मुंह से ये कहते भी सुना होगा कि काश तुम बड़े होते और ये छोटा।

दरअसल, मनुष्य की बातों से ही आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि सामने वाला कितना समझदार है। क्योंकि समझदारी की बातें वही करता है जो हर चीज को गहराई से समझता है। यानी कि जिस व्यक्ति की बातों में ना तो समझदारी दिखती है और ना ही गंभीरता दिखाई दें, ऐसा व्यक्ति लापरवाह होता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा कि हमेशा शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए। क्योंकि आप जो भी बोलते हैं उसे हजारों लोग पढ़ते हैं। इसके साथ ही आपका व्यक्तित्व भी उसी आधार लोगों की नजरों में बनता है।

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