महाकुम्भ नगर। प्रयागराज की पावन धरती पर चल रहे महाकुम्भ 2025 (Maha Kumbh) का समापन अब बेहद करीब है। भक्ति, आस्था और श्रद्धा के इस महासंगम को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए मेला पुलिस प्रबंधन ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के अंतिम स्नान पर्व में भीड़ प्रबंधन को लेकर 25 फरवरी से मेला क्षेत्र और प्रयागराज में नो-व्हीकल जोन लागू कर दिया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को स्नान और दर्शन का अवसर निर्बाध रूप से मिल सके।
नो-व्हीकल जोन की घोषणा
मेला पुलिस के अनुसार 25 फरवरी 2025 को मेला क्षेत्र को अपराह्न 4:00 बजे से नो-व्हीकल जोन घोषित किया गया है, जबकि प्रयागराज कमिश्नरेट को सायंकाल 6:00 बजे से नो-व्हीकल जोन बनाया जाएगा। सभी नागरिकों से अनुरोध किया गया है कि वे इस व्यवस्था का सम्मान करते हुए पूरा सहयोग करें।भीड़ प्रबंधन को सुचारु रखने के लिए सभी श्रद्धालुओं से निवेदन किया गया है कि वे अपने प्रवेश के सबसे निकटस्थ घाट पर ही स्नान करें, ताकि सभी को सुगमता और सुरक्षा मिल सके।
झूसी क्षेत्र के लिए स्नान व्यवस्था
दक्षिणी झूसी: यहां से आने वाले श्रद्धालु संगम द्वार ऐरावत घाट पर स्नान कर सकेंगे।
उत्तरी झूसी: यहां से आने वाले श्रद्धालु संगम हरिश्चंद्र घाट और संगम ओल्ड जीटी घाट पर स्नान करेंगे।
परेड क्षेत्र के लिए स्नान व्यवस्था
परेड से आने वाले श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान करेंगे…
संगम द्वार भरद्वाज घाट
संगम द्वार नागवासुकि घाट
संगम द्वार मोरी घाट
संगम द्वार काली घाट
संगम द्वार रामघाट
संगम द्वार हनुमान घाट
अरैल से आने वाले श्रद्धालु संगम द्वार अरैल घाट पर स्नान करेंगे।
आवश्यक सेवाओं के लिए छूट
दूध, सब्जी, दवाइयां, पेट्रोल/डीजल, एम्बुलेंस जैसी आवश्यक सामग्रियों की गाड़ियों और सरकारी कर्मचारियों (डॉक्टर, पुलिस, प्रशासन) के वाहनों पर कोई रोक-टोक नहीं होगी। ये सभी अपने कार्य निर्बाध रूप से कर सकेंगे।
श्रद्धालुओं से विशेष अपील
26 फरवरी 2025 को महाकुम्भ (Maha Kumbh) पर्व का समापन महाशिवरात्रि के साथ होगा। श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे शीघ्रता से निकटस्थ घाट पर स्नान और शिवालय में दर्शन कर अपने गंतव्य को प्रस्थान करें।
पाण्टून पुल और भीड़ प्रबंधन
दिशा निर्देशों में ये भी बताया गया है कि सभी पाण्टून पुलों का संचालन भीड़ के दबाव के अनुसार किया जाएगा। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि सभी घाटों को संगम के समान मान्यता प्राप्त है, इसलिए श्रद्धालु निकटस्थ घाट पर स्नान कर यातायात और भीड़ प्रबंधन में सहयोग करें।