सनातन धर्म में गंगा नदी को बहुत ही पवित्र और पूजनीय नदी माना जाता है। कहते हैं पवित्र गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए हिंदू धर्म में गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का खास महत्व है।इस शुभ अवसर पर बहुत से लोग गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते है। साथ ही इस दिन मां गंगा और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके पूजा के बाद जप-तप और दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कई बार लोग इस दिन कुछ ऐसी चीजों का दान करने से जीवन में परेशानियां बढ़ सकती है।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा का पर्व 5 जून को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के स्नान का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर सिद्धि योग सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक है। इसके साथ ही रवि योग का भी बन रहा है। वहीं हस्त नक्षत्र का संयोग रात भर रहेगा। जबकि तैतिल करण दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक है। इसके बाद गर करण का योग बन रहा है, जो देर रात 02 बजकर 15 मिनट तक है। मान्यता है कि इन शुभ संयोग में स्नान और दान पुण्य करने से मनचाहा वरदान और आरोग्य का वरदान मिलता है।
भूलकर भी न करें इन चीजों का दान
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) पर स्नान पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद गलती से टूटी हुई वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। इस दिन धारदार चीजें, काले रंग के वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए। मान्यता है इस तरह की किसी भी वस्तु का दान करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है। वहीं गंगा दशहरा पर अशुद्ध या जूठी वस्तुओं का दान करने पाप के समान माना जाता है।