हमारे धार्मिक शास्त्रों और नीति शास्त्रों में सोने (शयन) से जुड़े हुए नियमों का उल्लेख किया गया है। यदि कोई व्यक्ति उन नियमों का पालन सही से कर ले तो वह दीर्घायु और स्वस्थ्य जीवन को प्राप्त करता है। आइए जानते हैं शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को किस तरह से सोना चाहिए। सोने से जुड़े नियम क्या-क्या हैं।
मनुस्मृति के अनुसार व्यक्ति को सूने और निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। इसके साथ ही देव मन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए। वहीं विष्णुस्मृति के अनुसार, सोने से जुड़ा नियम कहता है कि किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए।
चाणक्य नीति के अनुसार, यदि छात्र, सेवक या फिर द्वारपाल अधिक समय तक सोये हुए हों तो इन्हें तुरंत जगा देना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसार, स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। अंधरे कमरे में भी नहीं सोना चाहिए।
महाभारत के अनुसार, व्यक्ति को भीगे पैर नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती है। टूटी खाट पर तथा जूठे मुंह भी नहीं सोना चाहिए। गौतम धर्म के अनुसार व्यक्ति को कभी भी ”नग्न होकर/निर्वस्त्र” नहीं सोना चाहिए।
पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु तथा दक्षिण की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है।
दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। परन्तु ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय एक मुहूर्त के लिए सोया जा सकता है। बह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, व्यक्ति को सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है। सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद सोना चाहिए।
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। दक्षिण दिशा में पांव करके कभी नहीं सोना चाहिए। यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है।
हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचे और पांव पर पांव चढ़ाकर नहीं सोना चाहिए। शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है। ललाट पर तिलक लगाकर सोना अशुभ है। इसलिये सोते समय तिलक हटा दें।