लखनऊ। विश्व पटल पर पहचान रखने वाले संस्कार भारती संगठन के संस्थापक बाबा योगेन्द्र (Baba Yogendra) का 98 वर्ष की आयु में शुक्रवार सुबह निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय संगठनों समेत फिल्म व सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की आंखें नम हो गयी।
पद्मश्री से सम्मानित बाबा योगेन्द्र के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि ‘संस्कार भारती’ के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, ‘पद्मश्री’ बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
‘संस्कार भारती’ के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, ‘पद्म श्री’ बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
ॐ शांति!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 10, 2022
बता दें कि बाबा योगेन्द्र जी (Baba Yogendra) के बारे में लोगों के मुख से तमाम बातें सुनने को आती रही हैं। इसमें एक बार उनके संघ शिक्षा वर्ग में प्रदर्शनी बनाने और उसके चर्चित होने के बाद प्रदर्शनियों का सिलसिला चल पड़ने की बात की जाती रही है। शिवाजी, धर्म गंगा, जनता की पुकार, जलता कश्मीर, संकट में गोमाता, 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमर गाथा, विदेशी षड्यन्त्र, माँ की पुकार आदि ने संवेदनशील मन को झकझोर दिया। ‘भारत की विश्व को देन’ नामक प्रदर्शनी को विदेशों में भी प्रशंसा मिली।
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बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। बचपन में गांव में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगे। इसके बाद गोरखपुर में पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह प्रचारक बने।
बाबा जोगेंद्र गोरखपुर, प्रयाग, बरेली, बदायूं और सीतापुर में प्रचारक रहे। शीर्ष नेतृत्व ने उनकी प्रतिभा देखकर 57 वर्ष की आयु में 1981 में ‘संस्कार भारती’ नामक संगठन के निर्माण कार्य का कार्यभार उन्हें सौंपा। उनके अथक परिश्रम से 41 वर्षों में संस्कार भारती आज कला क्षेत्र की अग्रणी संस्था बन चुकी है। बाबा योगेन्द्र को पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया था।