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पति-पत्नी में सुलह की नहीं बची गुंजाइश, तो SC ने ‘डिवोर्स’ करेगा मंजूर

Writer D by Writer D
01/05/2023
in Main Slider, नई दिल्ली, राष्ट्रीय
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Divorce

Divorce

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नई दिल्ली। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संवैधानिक बेंच ने तलाक (Divorce) को लेकर अहम फैसला देते हुए कहा है कि, अगर पति-पत्नी का रिश्ता इतना खराब हो चुका है कि अब सुलह की गुंजाइश ही न बची हो, तो कोर्ट भारत के संविधान के आर्टिकल 142 के तहत तलाक (Divorce) को मंजूरी दे सकता है। इसके लिए उन्हें फैमिली कोर्ट नहीं जाना होगा और न ही 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं होगा।

वहीं कोर्ट ने कहा कि, उसने वे फैक्टर्स तय किए हैं, जिनके आधार पर शादी को सुलह की संभावना से परे माना जा सकेगा। इसके साथ ही कोर्ट यह भी सुनिश्चित करेगा कि पति-पत्नी के बीच बराबरी कैसे रहेगी। इसमें मैंटेनेंस, एलिमोनी और बच्चों की कस्टडी शामिल है। बता दें कोर्ट ने यह आदेश 20 सितंबर 2022 को ही सुरक्षित रख लिया था।

6 महीने का समय हटाने को लेकर सुनवाई कर रही थी बेंच

जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, ए. एस ओका, विक्रम नाथ और जे. के महेश्वरी की संवैधानिक बेंच जिस मुद्दे के तहत सुनवाई कर रही थी, वह था कि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए अनिवार्य किया गया 6 महीने का समय हटाया जा सकता है या नहीं।

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हालांकि सुनवाई के दौरान संवैधानिक बेंच ने इस मुद्दे पर सुनवाई करना तय किया कि शादी अगर पूरी तरह टूट चुकी है तो क्या इसे तलाक देने का आधार माना जा सकता है या नहीं। इसे लेकर कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि अगर दंपती के तलाक के पिछले फैसले में जो भी शर्तें रखी गई हैं, अगर वे पूरी होती हैं तो आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए 6 महीने का इंतजार करना जरूरी नहीं होगा।

Tags: delhi newsDivorceNational newsSupreme Court
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