भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लंबे समय से स्पेस में भारत की ओर से एस्ट्रोनॉट को भेजने के लिए काम कर रहा है। हाल में सरकार ने भी इसके लिए मिशन 2040 तैयार किया है, जब गगनयान की मदद से भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने का काम कर लेगा। इस काम को करने के लिए इसरो अलग-अलग टेक्नोलॉजी पर टेस्ट कर रहा है और अब उसके हाथ एक बड़ी सफलता लगी है।
इसरो ने CE20 Cryogenic Engine के लिए जरूरी एक जटिल सी-लेवल टेस्ट को पूरा किया है। इसके बाद इसरो अपने मानव को अंतरिक्ष में भेजने के मिशन में और करीब आ गया है।
ISRO ने कंप्लीट किया टेस्ट
इसरो ने 29 नवंबर को तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में अपने इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में इस टेस्ट को कंडक्ट किया। इस टेस्ट में क्रायोजेनिक इंजन को री-स्टार्ट करके देखा गया। ये टेस्ट गगनयान मिशन के लिए बहुत जरूरी है।
मानव मिशन के लिए क्रायोजेनिक इंजन इसलिए जरूरी है क्योंकि इसी की मदद से Launch Vehicle Mark-3 (LVM-3) के अपर स्टेज को पावर मिलती है और मानव को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन इसी से सक्सेस फुल होगा।
ISRO ने खुद से बनाया इंजन
इस CE20 क्रायोजेनिक इंजन का विकास ख्रुद ISRO ने किया है। इसे लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने डेवलप किया है। ये 19 टन के थ्रस्ट लेवल को ऑपरेट कर सकता है और अब तक इसने छह एलवीएम-मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
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हाल में इस इंजन को अपडेट करके 20 टन कैपेसिटी का किया गया है, ताकि इसका इस्तेमाल गगनयान में किया गया है। इसे अब 22 टन तक भी बढ़ाया जा चुका है। क्रायोजेनिक इंजन के बिना इंसान को अंतरिक्ष में भेजना मुमकिन नहीं है।