जम्मू। भारत के लिए चार बड़े युद्ध में लड़ चुके पूर्व सैनिक हवलदार बलदेव सिंह (Baldev Singh) अब नहीं रहे हैं। 93 साल की उम्र में बलदेव सिंह का मंगलवार को राजौरी जिला में उनके निवास पर निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। जिला की नौशहरा तहसील में उनका सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
बलदेव सिंह (Baldev Singh) का जन्म 27 सितंबर, 1931 को नौशहरा के नौनिहाल गांव में हुआ था। उन्होंने साल 1947-48 में नौशहरा और झंगड़ की लड़ाई के दौरान 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में बाल सेना में स्वेच्छा से शामिल होने का फैसला किया था। उस समय बलदेव सिंह की उम्र महज 16 साल थी।
इस उन्होंने 12 से 16 साल की आयु के स्थानीय लड़कों के समूह (बाल सेना) के साथ इस युद्ध के अहम पलों में भारतीय सेना के लिए गोला-बारूद एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम किया। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना व कबाइलियों के दांत खट्टे करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
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प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बाल सैनिकों की बहादुरी के लिए उन्हें सम्मानित कर सेना में शामिल होने का अवसर दिया। बलदेव सिंह 14 नवंबर, 1950 को भारतीय सेना में भर्ती हुए। इसके बाद उन्होंने तीन दशकों तक समर्पण और वीरता के साथ देश की सेवा की। उन्होंने भारत के लिए चीन के खिलाफ 1962 युद्ध, पाकिस्तान के खिलाफ 1965 युद्ध और सेवानिवृत्त होने के बाद भी 1971 का युद्ध लड़ा।
अपने पूरे जीवन में देश की सेवा व बहादुरी के लिए उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सहित देश के कई बड़े नेताओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। तीन साल पहले जवानों के साथ दीपावली मनाने के लिए पीएम मोदी नौशहरा आए थे। इस दौरान पीएम ने बलदेव सिंह के साथ बातचीत की थी और उन्हें सम्मानित भी किया था।