ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति (Brahaspati) को बहुत ही शुभ और कल्याणकारी ग्रह माना गया है। यह ज्ञान, धर्म, भाग्य, संतान, विवाह और धन के कारक ग्रह हैं। बृहस्पति का एक राशि में ठहराव लगभग एक वर्ष का होता है और पूरे बारह राशियों का चक्कर लगाने में इन्हें 12 साल का समय लगता है। ऐसे में जब भी इनकी स्थिति या युति में बदलाव होता है, तो इसका असर सभी राशियों पर किसी न किसी रूप में दिखाई देता है। इस समय बृहस्पति (Brahaspati) मिथुन राशि में और शुक्र कर्क राशि में विराजमान हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 11 सितंबर की सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर गुरु बृहस्पति (Brahaspati) और शुक्र ने द्विद्वादश योग का निर्माण किया है। माना जाता है कि देवताओं के गुरु बृहस्पति और दैत्यों के गुरु शुक्र का यह संयोग विशेष राजयोग की स्थिति उत्पन्न करता है, जिससे कुछ राशियों पर धन, सुख और समृद्धि की वर्षा होने लगती है।
कौन-सी राशियों को मिलेगा विशेष लाभ?
सिंह राशि (Leo)
सिंह राशि वालों के लिए यह समय बहुत ही शुभ साबित होने वाला है। बृहस्पति और शुक्र का द्विद्वादश योग इन्हें धन लाभ, मान-सम्मान और करियर में तरक्की दिलाएगा। रुके हुए कार्य पूरे होंगे और नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। व्यापार करने वालों को बड़ा फायदा होगा।
तुला राशि (Libra)
तुला राशि के जातकों के लिए यह योग किसी सौभाग्य से कम नहीं है। नौकरी और व्यापार दोनों में नए अवसर मिलेंगे। लंबे समय से रुकी हुई आर्थिक परेशानियां दूर होंगी। वैवाहिक जीवन में भी मधुरता बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा और धार्मिक कार्यों में मन लगेगा।
धनु राशि (Sagittarius)
धनु राशि के जातकों के लिए यह समय राजयोग लेकर आया है। अचानक धन लाभ, प्रमोशन और विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त होगा।
द्विद्वादश योग का महत्व
द्विद्वादश योग को ज्योतिष में बेहद खास माना गया है। जब बृहस्पति (Brahaspati) और शुक्र आपस में 30 डिग्री पर आते हैं, तो यह योग जातक के जीवन में धन, ऐश्वर्य, वैवाहिक सुख और धार्मिक आस्था बढ़ाता है। 12 साल बाद बनने वाला यह राजयोग उन लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है, जिनकी कुंडली में गुरु और शुक्र शुभ स्थिति में होते हैं।








