लखनऊ। अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यकुशलता पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कई बार अस्पतालों में बेड बढ़ाने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनसुना कर रहे है।
श्री यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर पर लखनऊ की हालत चिंताजनक बनी हुई है। इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार कोई नीति नहीं बना सकी है। मुख्यमंत्री कई बार अस्पतालों में बेड बढ़ाने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनसुना कर रहे है।
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उन्होंने कहा कि यदि अधिकारी सरकार के निर्देश का पालन करते और पीजीआई, केजीएमयू व लोहिया चिकित्सा संस्थानों में क्षमतानुरूप कोविड बेड आरक्षित करते तो तस्वीर कुछ और होती। शहर में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ रही है। राजधानी में मंगलवार को 831 नए मरीज मिले। कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या रोगियों की तुलना में काफी कम है। यही कारण है कि सरकार ने निजी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों पर मरीजों की भर्ती का दबाव बढा दिया है।
श्री यादव ने कहा कि लखनऊ में सबसे अधिक सक्रिय केस है, लेकिन अस्पतालों में बेड सीमित संख्या में ही है। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास काफी बेड है, लेकिन कोरोना मरीजो के लिए चंद बेड ही आरक्षित किये गये है। लखनऊ में सबसे अधिक भार निजी मेडिकल कॉलेजो पर है। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल की बेड क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।
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उन्होंने कहा कि अब तक प्रदेश में कुल संक्रमित 1,31,935 मरीज मिल चुके हैं। इनमें 2176 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। कोरोना मरीजों के मामले में कुल 22 देश हैं, जहां उत्तर प्रदेश से ज्यादा संक्रमित हैं। इसकी चपेट में मंत्री, विधायक, अधिकारी सभी आ रहे हैं। राजधानी में एक वर्ष की मासूम बच्ची भी अपनी जान गंवा बैठी।
श्री यादव ने कहा कि वैष्विक महामारी में भी लखनऊ में स्थित सभी हॉस्पिटल अपने दायित्व का निर्वाहन नही कर रहे है। चिकित्सालयों द्वारा सरकार के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है। जिस वजह से बड़ी संख्या में संक्रमित रोगियों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। यदिर देखा जाए तो दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई सहित सभी महानगरों में स्थित निजी चिकित्सालय इस वैष्विक लड़ाई में सरकार के कंधे के कंधा मिला कर चल रहे है, इनका बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों को लाभ मिल रहा है।
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उन्होंने कहा कि संकट की स्थिति इसलिए भी है कि भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया। समाजवादी सरकार में जितने मेडिकल काॅलेज बने, एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोत्तरी हुई भाजपा ने उसके आगे कुछ नहीं किया। 108 और 102 एम्बूलेंस सेवा बर्बाद कर दी गई। अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की गई थी। आज सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था भी चरमरा गई है।