लखनऊ। माफिया डॉन और उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराने और साल 2003 में एक जेलर को जान से मारने की धमकी देने के मामले में हुई सात साल की जेल की सजा वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाई कोर्ट के आदेश से पहले निचली अदालत ने मुख्तार अंसारी को इस मामले मे बरी कर दिया था। लेकिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था।
पिछले साल सिंतबर में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के आलमबाग थाने के आपराधिक मामले में माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को दोषसिद्ध करार दिया था। हाई कोर्ट ने उसे 7 साल कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पर37 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
क्या है पूरा मामला?
साल 2003 में तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी एफआईआर में कहा था, ”जेल में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर मुझे जान से मारने की धमकी दी गई। साथ ही मेरे साथ गाली गलौज करते हुए मुख्तार ने मुझपर पिस्तौल भी तान दी थी।” इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार को बरी कर दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील दाखिल की थी।
एक अन्य मामले में पिछले महीने मिली 10 साल की सजा
बता दें कि दिसंबर में गैंगस्टर के मामले में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उसके सहयोगी भीम सिंह को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दस-दस साल की सजा सुनाई थी।
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अदालत ने दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगाया था। एमपी-एमएलए कोर्ट के जज दुर्गेश ने साल 1996 में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में मुख्तार अंसारी को दोषी माना था।