लखनऊ। विश्व कप, एशियाई खेल तथा सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय हाकी मैच में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले राम प्रकाश सिंह। उत्तर प्रदेश तथा बिहार को जोडऩे वाले देवरिया के चुरिया गांव से शुरू इनका खेल का सफर लखनऊ होते हुए सौ से अधिक देशों तक पहुंचा। आरपी सिंह अब प्रदेश के खेल विभाग में शीर्ष पर तैनाती के दौरान खेल प्रतिभाओं को निखारने में लगे हैं।
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हजारों लोगों में अलग ही नजर आते हैं। अपने लम्बे घुंघराले बाल के कारण अलग ही नजर आने वाले उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक आरपी सिंह बचपन से ही काफी मेहनती थे। बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के देवरिया के छोटे गांव चुरिया निवासी राम प्रकाश सिंह दस वर्ष की छोटी उम्र में तैरकर गंडक नदी पार करके पढऩे जाते थे।
हॉकी के साथ ही फुटबाल खेलने के शौकीन राम प्रकाश सिंह का खेलों के प्रति यह जुनून उनको लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज ले आया। फुटबॉल और हॉकी का शौक रखने वाले बच्चे का स्पोर्ट्स कालेज में भी दाखिला होता है। कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं।
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अभ्यास के दौरान उनकी चपलता को देखकर दिग्गज स्वर्गीय केडी सिंह ‘बाबू’ ने कोच राम औतार मिश्र से कहा कि इसे देखो। यह बच्चा आगे जाएगा। इस पर नजर रखो। महान खिलाड़ी और कोच की पारखी निगाहों में आने के बाद उस बच्चे के खेेेल में तेजी से सुधार आया और आगे चलकर वही बच्चा बड़ा होकर भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बना।