किसान आन्दोलन को लेकर केन्द्र सरकार के रवैये से नाराज राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार मामले को जानबूझ कर लटका रही है लेकिन इससे किसानो का मनोबल टूटने वाला नहीं है।
श्री दीक्षित ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। केन्द्र की वर्तमान सरकार को अपने इस रवैये की भारी कीमत चुकानी पडेगी। केन्द्र सरकार आन्दोलन कर रहे किसानों को हताश करने के लिए मामले को जानबूझकर लटका रही है पर किसान का मनोबल टूटने वाला नहीं है। किसान अपनी मांग मनवाकर ही रहेगा। सरकार को अन्नदाता की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार कर उसे पूरा करना चाहिए। यह देश के किसानों के हितों से जुडा सवाल है।
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उन्होने कहा कि किसानों के वोट से चुनकर आने वालों द्वारा किसानों को नहीं सुनना तथा उन्हे कोर्ट जाने के लिए कहना लोकतंत्र का भी अपमान है। सरकार को इस विषय को प्रतिष्ठा का सवाल बनाने से बचना चाहिए। लोकतंत्र में इस प्रकार कर अडियल रवैया उचित नहीं है।
श्री दीक्षित ने कहा कि अन्नदाता कडाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। इसके बावजूद एक वर्ग के द्वारा उन पर तरह तरह आरोप लगाए जा रहे हैं। हास्यासपद तो यह है कि खेती किसानी से दूर दूर तक नाता नहीं रखने वाले भी इन कानूनों की पैरोकारी कर रहे हैं। जब किसान कह रहे हैं कि नये कृषि कानून उनके हित के खिलाफ हैं तो सरकार जबरदस्ती उन पर इन कानूनों को क्यों थोप रही है। वैसे भी सरकार भी किसान कानूनों के लाभ गिनाने व समझाने में नाकाम रही है।