लाइफ़स्टाइल डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां और अनुमोल वचनों को जिसने जिंदगी में उतारा वो खुशहाल जीवन जी रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो इन वचनों और नीतियों को जीवन में ऐसे उतारिए जैसे पानी के साथ चीनी घुल जाती है। चीनी जिस तरह पानी में घुलकर पानी को मीठा बना देती है उसी तरह से विचार आपके जीवन को आनंदित कर देंगे। आचार्य चाणक्य के इन अनुमोल विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार इस बात पर आधारित है हि संसार सिर्फ जरूरतों पर ही चलता है।
‘संसार जरूरत के नियम पर चलता है। सर्दियों में जिस सूरज के निकलने का इंतजार होगा, उसी सूरज का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है। आप की कीमत तब होगी जब आपकी जरूरत होगी।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि ये पूरी दुनिया सिर्फ और सिर्फ जरूरत पर ही चलती है। जैसे ही सूरज निकलता है तभी अंधेरा दूर होता है। ये प्रकृति का नियम है। ठीक इसी तरह मनुष्य अपनी जरूरत के हिसाब से ही किसी चीज का तिरस्कार और इंतजार करता है। ठंड के मौसम में हर किसी को सूरज के निकलने का इंतजार रहता है। ऐसा इसलिए ताकि उन्हें ठंड से राहत मिले और वो कुछ देर तक सूरज की रोशनी में यानी कि धूप में खड़े हो सकें। ऐसा करने से एक तो उन्हें ठंड में कपकपी से राहत मिलेगी तो वहीं ठंड की वजह से होने वाली बीमारियों से भी खुद का बचाव कर पाएंगे।
वहीं दूसरी तरफ गर्मी में लोग धूम में खड़ा होना तक पसंद नहीं करते। यहां तक कि कई लोग आपको ये कहते भी मिल जाएंगे कि आज कितनी ज्यादा धूप है। यानि कि लोग गर्मी के मौसम में सूरज का तिरस्कार करने से पीछे नहीं हटते। असल में किसी भी चीज की वैल्यू तब होगी जब सामने वाले को आपकी जरूरत होगी।
असल जिंदगी में आपको ऐसे कई लोग मिल जाएंगे। जो सिर्फ और सिर्फ काम आने पर ही आपसे बात करेंगे या फिर आपका साथ देगा। यानी कि दुनिया में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसके पीछे कोई मकसद नहीं छिपा हो। उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी काम को सबसे अच्छा करेंगे तो आपकी हर जगह तारीफ होगी।