रामपुर(मुजाहिद खाँ)। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि समस्या का समाधान बातचीत से ही निकलेगा। वह सरकार से बार-बार कह रहे हैं बातचीत करो। लखीमपुर की घटना पर कहा हिस्ट्रीशीटर देश का गृह राज्यमंत्री नहीं बन सकता।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता लखीमपुर से लौटते समय कोयला टोल प्लाज़ा पर धरना दे रहे किसानों के पास रुके और उन्होंने किसानों का हौसला बढ़ाया। कहा डटे रहो। किसानों के के लिए बहुत लंबी जंग लड़नी है। इसके बाद जिलाध्यक्ष हसीब अहमद के साथ विकास भवन के पास स्थित भाकियू जिला कार्यालय पर पहुँचे जहाँ भाकियू कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
वहीं राकेश टिकैत ने मीडिया के सवाल लखीमपुर की घटना का जवाब देते हुए कहा कि गिरफ्तारी और मंत्री का इस्तीफा जिसके लिए सरकार के पास 12 तारीख तक का टाइम है उसके बाद पूरे देश में आंदोलन होंगे क्या और कैसे होंगे वह रणनीति तय करने के बाद 12 तारीख को बताएंगे। 5 लोगों को सरकार ने मुआवजा दे दिया जिसमें किसान और पत्रकार थे, उनको इन्साफ जब मिलेगा जब उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी और जो केंद्रीय मंत्री हैं अजय टेनी उनका इस्तीफा होगा। अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है आप लोग सरकार से सवाल करो गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। राजनीतिक पार्टियों के जाने पर कहा सभी लोगों को वहां जाना चाहिए और उन लोगों की मदद करना चाहिए चाहे कोई भी पार्टी हो परिवारों की मदद करना चाहिए।
वहीं सरकार के मीडिएटर के तौर पर काम करने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि दिल्ली में भी बातचीत करते हैं सरकार है तो बातचीत करना पड़ेगी हम आंदोलन को संघर्ष से समाधान की तरफ लेकर जाना चाहते हैं सरकार समाधान से संघर्ष की तरफ लेकर जाना चाहती है। यही अंतर हममें और उनमें है। हम संघर्ष हो रहा है तो समाधान की तरफ लेकर जाएंगे और सरकार समाधान हो रहा है तो संघर्ष की तरफ लेकर जाएगी। पॉलिटिकल पार्टियों में और हमारे अंदर यही अंतर है बातचीत से ही समाधान होगा। दिल्ली में भी 12 दौर की बातचीत हुई है हमने फिर सरकार से कहा है बातचीत करो और बातचीत सरकार से ही होगी जिसकी सरकार होगी उनसे ही बात होगी उनके अधिकारियों से ही बात होगी। और वहां लखीमपुर में तीन तरह की कमेटी थी परिवार, रिश्तेदार और किसान संगठन उधर अधिकारियों की भी तीन कमेटियां थी जिसमें प्रमुख सचिव स्तर के एडीजी और कमिश्नर यह थी और एक कमेटी डीएम और एसएसपी की तीन सरकार की थी 3 किसानों की तरफ से थी और लगातार चली बैठक में 6 घंटे में ही समझौता हो पाया करीब 10 हज़ार लोग इस वार्ता में शामिल रहे।
समझौते से वहां जो लोग मौजूद थे वह संतुष्ट हैं और हम उनके साथ हैं। वहीं इस तरह की घटना पर कहा कि किसान आंदोलन दिल्ली से चल रहा है और जो भी इस तरह की घटना करेगा कानून को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए। जानबूझकर के गाड़ी पब्लिक के ऊपर चढ़ाई गई एक चढ़ सकती थी दूसरी चढ़ सकती थी तीसरी नहीं चढ़ना चाहिए थी। तीनों गाड़ी पब्लिक को रौंदते हुए निकली अगर वह तीनों गाड़ियां सीधे रास्ते जाती तो पुलिस के लोग भी उनसे बचे पुलिस ने उन गाड़ियों को रोका उनके वीडियोज़ है पुलिस के पास उन्होंने का पहला अटैक हमारे ऊपर था हम लोग बच गए उन्हें रोकने की कोशिश की उनका चेहरा पुलिस की तरफ था क्योंकि वह ट्रेनिंग शुदा लोग थे और जो हमारे किसान थे वह विपरीत दिशा से आ रहे थे उनको पीछे से हिट किया गया हजारों वीडियो आपको बनती हुई मिलेगी कुछ वीडियो है जैसे ही वहां नेट चालू हो जाएगा लोग वीडियो डालना शुरू करेंगे।
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केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे के वहां नहीं होने के बयान पर राकेश टिकैत ने कहा कि वह तो कहेंगे अपने बचाव में, चोर अदालत के आखरी दरवाजे तक मना करता रहता है, कातिल हर तरीके से फांसी के आखरी तख्ते तक मना करता है गुहार लगाता रहता है। यह कातिल हैं, हत्यारे हैं जितनी भी वहां पर हत्या हुई है उसमें दोषी की गिरफ्तारी और उनका इस्तीफा।कहा हिस्ट्रीशीटर देश का गृह राज्य मंत्री नहीं बन सकता।किसानों को संदेश यही है कि शांतिपूर्ण रहो हमारा आंदोलन संघर्ष से समाधान की तरफ जाएगा लेकिन सरकारी यह चाहती हैं इस आंदोलन का समाधान की तरफ से संघर्ष की तरफ मूव हो।
45 लाख रुपए सरकार ने दिए हैं, इसके अलावा और जगहों से भी मदद हुई है अब तक डेढ़ करोड़ रुपए की मदद हुई है। और जो भी पॉलीटिकल पार्टी जाएं वह उनके परिवार के लिए कुछ न कुछ मदद करें वे परिवार बेहद गरीब है और उनके पास कुछ नहीं है और मजदूरी का काम करते हैं। 50 लाख कांग्रेस और पंजाब से मिले हैं। और जो भी पार्टी जाए मदद करें। आंदोलन पर कहा कि आगे की गतिविधि सरकार बताएगी हम तो आंदोलन करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं। लखीमपुर घटना से उनके आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते हैं उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इसके बाद राकेश टिकैत दिल्ली रवाना हो गए जिसमें जिलाध्यक्ष हसीब अहमद भी उनके काफिले में मुरादाबाद तक शामिल रहे।