लाइफ़स्टाइल डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद के दर्शन करके अर्ध्य देती हैं। जिसके बाद ही वह अपना उपवास तोड़ती हैं। जानिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कब है करवा चौथ?
आपको बता दें कि इस साल करवा चौथ 4 नवंबर को पड़ेगा। यह हमेशा दिवाली के 10 से 11 दिन पहले मनाया जाता है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की कृष्ण पत्र की चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट में समाप्त होगी।
- करवा चौथ का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 29 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक।
- चंद्रोदय- शाम 8 बजकर 12 मिनट पर।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवाचौथ पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं चंद्रोदय पर चंद्रमा की पूजा संपन्न कर अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। कहा जाता है कि चांद देखे बिना व्रत अधूरा रहता है। चांद की पूजा से पहले कोई महिला न कुछ भी खा सकती हैं और न पानी पी सकती है। इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करती है। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करके संकल्प लें-”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”।
इस दिन भगवान शिव, माता गौरी और गणेश जी की पूजा का विधान है। पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके चौकी रखकर भगवान शिव, मां गौरी और बगवान गणेश की प्रतिमा, तस्वीर स्थापित करे। मार्केट में करवाचौथ की पूजा के लिए कैलेंडर भी मिलते हैं, जिस पर सभी देवी-देवताओं के चित्र बने होते हैं।
इस प्रकार देवी-देवताओं की स्थापना करके पाटे की उत्तर दिशा में एक जल से भरा लोटा या कलश स्थापित करना चाहिए और उसमें थोड़े-से चावल डालने चाहिए। अब उस पर रोली, चावल का टीका लगाना चाहिए और लोटे की गर्दन पर मौली बांधनी चाहिए। कुछ लोग कलश के आगे मिट्टी से बनी गौरी जी या सुपारी पर मौली लपेटकर भी रखते हैं। इस प्रकार कलश की स्थापना के बाद मां गौरी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए।