लाइफ़स्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस देश में उन लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है, जो मोटापा ग्रस्त हैं। सर गंगाराम अस्पताल के एक अध्ययन में यह चिंताजनक स्थिति सामने आयी है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे मरीजों को इलाज के दौरान सांस लेने में तकलीफ के कारण वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है।
सर गंगाराम अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, मेटाबोलिक एंड बेरियाट्रिक्स सर्जरी ने यह अध्ययन किया। यह शोध एक हजार कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर चार माह तक किया गया। शोधदल ने पाया कि इलाज के दौरान 50 साल से कम उम्र के जिन मरीजों को वेंटिलेटर देना पड़ा, उनमें आधे मरीज मोटापाग्रस्त थे। इन मरीजों का बॉडी-मास इंडेक्स (बीएमएस) तीस से ज्यादा था। शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापाग्रस्त मरीजों में इस वायरस के गंभीर असर देखने को मिलते हैं।
शोध में शामिल डॉ. अतुल गोगिया का कहना है कि मोटे व्यक्ति को नींद में श्वास लेते समय तकलीफ होती है। यह समस्या एक समय के बाद गंभीर बीमारी में तब्दील हो जाती है। यही कारण है कि ऐसे मरीज को जब श्वसन तंत्र पर असर करने वाले कोरोना वायरस का हमला होता है तो उन्हें सबसे ज्यादा श्वसन संकट होता है।
तालाबंदी के समय घर तक सीमित रहने के कारण खाने-पीने की आदत बिगड़ने और तनाव महसूस करने के कारण बहुत से भारतीयों का वजन तेजी से बढ़ा। भारत में बच्चों से लेकर अधेड़ उम्र तक के लोगों में मोटापा एक गंभीर समस्या है। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारीकाल में मोटापा बढ़ने से उनके लिए वायरस का खतरा बढ़ गया है। जरूरी है कि लोग भोजन व व्यायाम की एक सख्त दिनचर्या अपनाएं।