पंडित हरि ओम शर्मा
अगर व्यक्ति के पास धनबल, बाहुबल, कुर्सीबल तीनों बल हैं लेकिन आत्मबल नहीं है तो यह तीनों बल बेकार! इन तीनों बलों का अस्तित्व तभी तक है जब तक व्यक्ति के पास ‘‘आत्मबल’’ है। आत्मबल के बिना यह तीनों बल महत्वहीन हैं। अगर आप आत्मबल से परिपूर्ण हैं तो यह तीनों बल स्वतः ही आपके पास दौड़ते चले आयेंगे। आत्मबल वह बल है कि इस बल से परिपूर्ण व्यक्ति के चेहरे पर गजब का उत्साह होता है। कुछ कर गुरजने की लालसा प्रत्येक क्षण उस व्यक्ति के अन्दर विद्यमान रहती है। वह चैबीस घंटे अपने कार्य के व अपने लक्ष्य के बारे में सोचता रहता है। अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयास करता रहता है वह अपने ‘‘आत्मबल’’ से धनबल, बाहुबल व कुर्सीबल तीनों का स्वामी बन जाता है। यह करिश्मा है आत्मबल का। याद रखिये! यह करिश्मा केवल आत्मबल ही कर सकता है, और कोई नहीं! अतः अपना आत्मबल हमेशा बनाये रखिये ‘‘आत्मबल’’ वह कार्य कर सकता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। अतः आत्मबल के बल को पहचानिये और बन जाइये सभी बलों के स्वामी।
इस आत्मबल को बनाये रखना कोई आसान काम नहीं है। आत्मबल का शाब्दिक अर्थ है आत्मा का बल। यह आत्मा का बल उन्हीं व्यक्तियों के पास होता है जो आत्मा द्वारा बताये गये नेक रास्ते पर चलते हैं। आत्मा कभी भी किसी भी व्यक्ति को गलत कार्य करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती है बल्कि गलत कार्य करने वाले व्यक्ति को टोकती जरूर है साथ ही गलत कार्य करने का पुरजोर विरोध भी करती हैं। जिस व्यक्ति ने आत्मा की बात मान ली उसके पास आत्मबल बरकरार रहेगा जिस व्यक्ति ने आत्मा की बात नही मानी उसे अनदेखा कर गलत कार्य कर दिया आत्मबल उसी समय उस व्यक्ति से किनारा कर जायेगा भले ही व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यों न हो? भले ही वह धनबल, बाहुबल का स्वामी ही क्यों न हो? भले ही वह कितनी ही ऊँची कुर्सी पर क्यों न विराजमान हो? आत्मबल के किनारा करते ही उसकी कुर्सी धड़ाम से नीचे आ जायेगी धनबल उस व्यक्ति से ऐसे किनारा कर लेगा जैसे कि उसे वह पहचानता ही नही हैं बाहुबल भी उस व्यक्ति का साथ छोड़ देगा आगे पीछे धूमने वाले सभी बाहुबली उससे दूर चले जायेंगे खुद अपना स्वास्थ्य भी ऐसे व्यक्ति का साथ देना छोड़ देता है।
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कहने का अभिप्राय यह है कि आत्मबल के साथ छोड़ते ही सब साथ छोड़ देते है। यह आत्मबल व्यक्ति के साथ तभी तक रहता जब तक व्यक्ति आत्मा के दिशा निर्देश का पूर्णतः पालन करता रहता है आत्मबल तभी तक उसके साथ रहता हैं। जब तक आप का इरादा नेक है तभी तक आत्मबल आपके साथ है जब तक आप दूसरे इन्सान को सुख पहुँचाते रहते है यह आत्मबल तभी तक आपके साथ रहता है जब तक आप अत्याचार अनाचार, बेईमानी, भूठ, फरेब से दूर रहते है तभी तक आत्मबल आपके साथ है आत्मबल के रहते आप आसमान को भी छू सकते है तारों को भी गिन सकते है कहने का आशय मेरा यह है कि आप वह कार्य कर सकते है जो संभव ही नही असम्भव है। अनेकों उदाहरण ऐसे हैं कि जिन व्यक्तियों ने आत्मबल के सहारे ऐसे ऐसे कारनामें कर डाले हैं जो आज तक की मिसाल बने हुए हैं जगदीश गांधी को ही देख लीजिए उधार के रूपयों से रेल टिकट खरीदकर लखनऊ आये थे रिक्शे के पैसे नही थे उनके पास सो सिर पर बक्सा रखकर पहुँच गये गोमती किनारे। वहाँ पर नदिया किनारे और खुले आसमान के नीचे परमात्मा की शरण ले ली, फीस के रूपये न होने पर भी जूता पालिश और अखबार बेच कर फीस की जुगत कर ली और ले लिया लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमीशन, इतना ही नही कुछ न होते हुए भी इस आत्मबल के सहारे ही बन गये लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष। बाद में हो गये एमएलए आज जगदीश गांधी द्वारा संस्थापित सिटी मोन्टेसरी स्कूल में 26 छात्र अध्ययनरत है गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में इस विद्यालय का नाम है अनेको पुरष्कारों से नवाजा जा चुका है अभी तक श्री जगदीश गांधी को इतना ही नही अभी हाल में संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को शिक्षा शान्ति पुरस्कार भी सीएमएस को देने की घोषणा की गई है इन सब सफलताओं के पीछे क्या है? केवल श्री जगदीश गांधी जी का आत्मबल, आज आत्मबल के सहारे ही श्री गांधी ऊँचाईयों के शिखर पर हैं।
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तो आप समझे आत्मबल के चमत्कार को अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन रद्दी की दुकान पर नौकरी करते थे अपने आत्मबल के बलबूते पर पहुँच गये संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति पद पर । लाल बहादुर शास्त्री को ही ले लीजिए पढ़ने के लिए बिजली की रोशनी तो दूर मिटटी के तेल के पैसे भी नही थे उनके पास, जिससे वह लैम्प जलाकर पढ़ सकें। सड़क पर रोशनी के लिए लगाये गये पोल पर टिमटिमाते बल्ब की रोशनी में ही उन्होंने पढ़ाई की हमेशा परीक्षा में उच्च सफलता प्राप्त करते हुए पहुँच गये विश्व के सबसे अधिक सजग प्रजातंत्र वाले भारत देश के प्रधानमंत्री पद तक।
महात्मा गांधी के पास ही क्या था? दो पसली के एक दुबले से इन्सान न धनबल न बाहुबल लेकिन सभी तरह से सशक्त व वैभवशाली, अंगे्रजी हुकूमत को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया फिरंगियों की शक्तिशाली सेना व पुलिस को भी पसीने आ गये महात्मा गांधी के आत्मबल के सामने, और भगा दिया फिरंगियों को अपने देश से। करा लिया ‘‘भारत माता’’ को अंग्रेजों की जंजीरों से मुक्त आज हम स्वतन्त्रता की जो सांस ले रहे हैं वह पूज्य महात्मा गांधी के आत्मबल का ही प्रताप तो है। हम सभी भारतवासी साबरमती के इस संत के समक्ष नतमस्तक है।
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, दे दी तूने आजादी बिना खडग बिना ढाल।
एक ऐसा चर्चित नाम और आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ जो अपने आत्मबल के कारण दुनियाँ में विख्यात हैं और वह नाम है भारतरत्न व प्रख्यात वैज्ञानिक डा एपीजे अब्दुल कलाम का। डा कलाम के पिता अखबार बाँटने का काम करते थे अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नही थे किसी प्रकार उन्होंने हाईस्कूल तक अपने बेटे का पढ़ाया बाद में आत्मबल से लबालब इस बालक ने ट्यूशन आदि कर खुद पढ़ाई की। अपनी सभी परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करते हुए बन गये महान वैज्ञानिक व मिसाइल फादर और अब आसीन होने जा रहे हैं भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर। हजारो उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है जिसमें इन आत्मबलियों ने अनेक झंडे गाड़े हैं अपने कारनामों के जिनमें सरदार पटेल, मदर टेरेसा, महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आदि अनेकों ऐसे नाम हैं जिनका नाम हमेशा इतिहास में अमर रहेगा।
कहने का आशय यह है कि आत्मबल सर्वोपरि है जिस व्यक्ति के पास आत्मबल है उसके पास सब कुछ है जिसके पास आत्मबल नही है उसके पास कुछ भी नही है आत्मबल उन्हीं व्यक्तियों के पास है जो संयमी हैं, मृदुभाषी है, परोपकारी है, कर्तव्य परायण हैं, परिश्रमी हैं, लगनशील हैं धार्मिक है ईश्वर भक्त है माता-पिता के भक्त है आत्मा के आदेश का पालन करते हैं अतः अपने आत्मबल को बनाये रखने के लिए अपनी आत्मा के आदेश का पालन करिये उसी के बताये रास्ते पर चलिए आत्मबल हमेशा आपके साथ रहेगा जब आत्मबल आपके साथ है तब आपको अन्य किसी बल की आवश्यकता ही नही हैं। आत्मबल के आते ही अन्य बल स्वतः ही आपके अधीन हो जायेंगे साथ ही आप हो जायेंगे संसार के सफलतम व्यक्तियों में से एक। एक ऐसे सफल व्यक्ति जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता हैं।