सोमवार, 29 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का सातवां दिन है। नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहते हैं, जिसका विशेष महत्व माना गया है। इस दिन मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि, देवी दुर्गा का सातवां रूप हैं और उनका यह उग्र स्वरूप दुष्टों और राक्षसों के संहार के लिए होता है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) को गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुआ या गुड़ की खीर का भोग लगाया जाता है। गुड़ के अलावा, मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) को उड़द की दाल और चावल का भोग भी लगाया जाता है, जिससे मां प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कालरात्रि को गुड़ बहुत प्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) को आप गुड़ से बनी मिठाई, मालपुआ या गुड़ की खीर का भोग लगा सकते हैं। साथ ही, उड़द की दाल और चावल भी मां कालरात्रि को अर्पित किए जा सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) को उनका प्रिय गुड़ भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) विद्युत की माला धारण करती हैं, जबकि काली माता नरमुंड की माला धारण किए हैं। कालरात्रि माता दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जबकि माता काली दस महा विद्याओं में से एक मानी गई हैं। माता काली के हाथ में कटा हुआ सिर है जबकि माता कालरात्रि नरमुंड नहीं पकड़ती हैं।








