वॉशिंगटन। ऐसे समय जब भारतीय सरज़मीन पर चीनी सेना मौजूद होने के बावजूद तनाव कम हो रहा है, अमेरिका ने बीजिंग की तीखी आलोचना करते हुए उसे आक्रामक क़रार दिया है।
अमेरिका ने भारत से दोस्ती को एक अलग पड़ाव पर ले जाते हुए अब चीन पर खुलेतौर पर प्रस्ताव पारित कर आरोप लगाया है कि कोरोना संक्रमण की आड़ में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का मकसद भारत की जमीन पर कब्जा करने का ही था।
अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने लद्दाख गतिरोध को लेकर इस आशय का भारत के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया है। सदन ने न सिर्फ इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी है, बल्कि यह भी माना है कि चीन उस इलाके में गैरकानूनी कब्ज़ा करने की फिराक में है। गौरतलब है कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन करना शुरू कर दिया था।
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भारतवंशी एमी बेरा और एक अन्य सांसद स्टीव शैबेट राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने गलवान घाटी में आक्रामकता दिखाई है और उसने कोरोना पर ध्यान बंटाकर भारत के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की है।
भारत-चीन की एलएसी, दक्षिण चीन सागर ओर सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं। इसके आलावा प्रस्ताव में दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना के बढ़ते दखल पर भी चिंता जाहिर की गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन लद्दाख की तरह ही 13 लाख वर्ग मील दक्षिण चीन सागर के पूरे इलाके को गैरकानूनी तरीके से अपना बताता रहा है। जबकि इन इलाकों पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं।
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अमेरिकी सांसद शैबेट ने कहा कि एलएसी पर 15 जून को 5000 चीनी सैनिक जमा थे। माना जा रहा है कि उनमें से कई ने 1962 की संधि का उल्लंघन कर विवादित क्षेत्र को पार कर लिया था। वे न सिर्फ भारतीय हिस्से में पहुंच गए बल्कि भारतीय सेना को उकसाया भी, हम चीन की आक्रामक गतिविधियों के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं।
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उधर भारतीय-अमेरिकी राजा कृष्णमूर्ति और 8 अन्य सांसद भी सदन में प्रस्ताव लाए हैं। इसमें कहा गया है कि चीन बल से नहीं, राजनयिक ढंग से सीमा पर तनाव कम करे। प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग होगी। भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधु ने भी ट्रंप प्रशासन को पत्र लिखकर लद्दाख मामले में चीनी अफसरों की शिकायत की है।
चीन के खिलाफ दुनिया में और बढ़ी गोलबंदी, अमेरिका ने किया ये ऐलानबता दें कि अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिया है। कंपनियों पर आरोप है वे चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में शामिल रही हैं। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, ‘हम सुनिश्चित करेंगे कि चीन असहाय मुस्लिमों के खिलाफ अमेरिकी सामान का इस्तेमाल न करे।’
जानकारों के मुताबिक अमेरिका के इस रुख से भारत के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता आसन हो गया है। फ़िलहाल अमेरिका उन सभी देशों का समर्थन खुलकर कर रहा है, जो चीन के दबाव में हैं। अमेरिकी समर्थन भारत के दीर्घकालिक हितों में है क्योंकि भारत भी चीनी कंपनियों पर अपनी निर्भरता घटा रहा है।